उत्तर प्रदेश के 40 हजार प्राइवेट मदरसों की जांच पर एतराज क्यों? आतंकी गतिविधियों में लिप्त जम्मू के मदरसे का मौलवी अब्दुल वाहिद गिरफ्तार।

6 सितंबर को जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के पदाधिकारियों की एक बैठक दिल्ली में हुई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के बड़े मदरसों के मौलानाओं ने भी भाग लिया। इस बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 40 हजार प्राइवेट मदरसों की जांच का विरोध किया गया। वहीं 6 सितंबर को ही जम्मू के एक मदरसे से अब्दुल वाहिद नाम के मौलवी को गिरफ्तार किया गया है। यह मौलवी अपने मदरसे में कश्मीर जांबाज फोर्स के लिए मुस्लिम युवाओं को तैयार कर रहा था। पुलिस की जांच पड़ताल में पता चला है कि मौलाना वाहिद के पास पाकिस्तान के नंबर वाले दो मोबाइल फोन है। इन फोन के जरिए वाट्सएप पर सुरक्षा बलों की लोकेशन के फोटो पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथियों और बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों को भेजे जाते थे। पुलिस का कहना है कि मदरसे की आड़ में देश विरोधी गतिविधियां हो रही थीं। सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश में संचालित 40 हजार प्राइवेट मदरसों की जांच का विरोध क्यों हो रहा है? यूपी में सरकारी मदद से चलने वाले मदरसों की जो कायापलट हो गई है। अधिकांश मदरसों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ कर कम्प्यूटरीकृत किया गया है। लेकिन अभी भी 40 हजार से भी ज्यादा मदरसे हैं जो एक दो कमरों में निजी स्तर पर चल रहे हैं। एक दो कमरों में चलने वाले मदरसों में क्या पढ़ाई होती है, यह मौलवी ही जानते हैं। ऐसे मदरसों की फंडिंग में भी पारदर्शिता नहीं है। सरकार ऐसे ही मदरसों की जांच करवा रही है। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि सरकार को किसी भी संस्था की जानकारी हो। यह माना कि जांच के दायरे में आए 40 हजार प्राइवेट मदरसे सरकार से कोई सहायता नहीं लेते। लेकिन जब यह कहा जाता है कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है, तब सरकार को यह पता होना चाहिए कि प्राइवेट मदरसों में किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है? शिक्षा लेने वाले भविष्य में क्या बनेंगे? देश के संविधान के मुताबिक कोई भी संस्था अपनी मर्जी से शिक्षा नहीं दे सकती। जम्मू के मदरसे के मौलवी अब्दुल वाहिद पर तो बेहद ही गंभीर आरोप है। यदि मदरसे का मौलवी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होगा तो फिर जांच पड़ताल तो होगी ही। जमीयत उलेमा ए हिन्द जैसी प्रतिनिधि संस्थाओं का यह दायित्व है कि वे आगे होकर प्राइवेट मदरसों के बारे में जानकारी दें। मदरसों की फंडिंग में भी पारदर्शिता होनी चाहिए। अब जब शिक्षा के लिए बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी बन रही हैं तब दो कमरों में कुछ बच्चों को बैठा कर कौन सी शिक्षा दी जा रही है? मुस्लिम नेता अक्सर आरोप लगाते हैं कि मुसलमानों का विकास नहीं हुआ, जबकि मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने अनेक योजनाएं चला रखी हैं। स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों को अलग से स्कॉलरशिप भी दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद भी अकेले उत्तर प्रदेश में 40 हजार मदरसों में गुपचुप तरीके से शिक्षा दी जाएगी तो फिर सवाल उठेंगे ही। मदरसों में मजहबी शिक्षा दी जाए, इस पर कोई एतराज नहीं है, क्योंकि कोई भी मजहब आतंकी बनने की शिक्षा नहीं देता है। लेकिन यह सबको पता होना चाहिए कि मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम बच्चे क्या बन रहे हैं? उम्मीद तो यही की जानी चाहिए कि मदरसों में नेक इंसान बनने की शिक्षा दी जाती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-09-2022)
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