राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने पुष्कर में अपनी सक्रियता को और बढ़ाया। राठौड़ की पहल पर ही पुष्कर में हुआ, सरकारी वकीलों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन। राठौड़ का शानदार स्वागत।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्के समर्थक हैं, अब जब गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजस्थान में नया मुख्यमंत्री बनाने की कवायद चल रही है, तब राठौड़ ने पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। राठौड़ पुष्कर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। चूंकि राठौड़ का पैतृक गांव नांद (पुष्कर) है, इसलिए कांग्रेस उम्मीदवारी पर उनका दावा सशक्त बताया जा रहा है। राठौड़ ने 24 सितंबर को पुष्कर में आयोजित प्रदेश भर के सरकारी वकीलों के सम्मेलन में भाग लिया। यह सम्मेलन राठौड़ की पहल पर ही पुष्कर में हुआ। अजमेर जिले की विभिन्न अदालतों में राठौड़ के प्रयासों से ही सरकारी वकील नियुक्त हुए हैं। आमतौर पर सत्तारूढ़ दल की विचारधारा वाले वकीलों को ही सरकारी वकील नियुक्त किया जाता है। अजमेर के राजकीय जिला अभिभाषक विवेक पाराशर भी कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं। पाराशर का पुष्कर के पाराशर समाज में दखल है। सरकारी वकीलों के प्रांतीय सम्मेलन की बागडोर पाराशर के हाथ में ही है। हालांकि 24 सितंबर को राठौड़ को जयपुर में अनेक राजनीतिक बैठकों में भाग लेना था, लेकिन राठौड़ ने पुष्कर को प्राथमिकता दी। पुष्कर के विकास में भी राठौड़ पिछले एक वर्ष से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पुष्कर के ऐतिहासिक ब्रह्मा मंदिर के भवन की मरम्मत के कार्य की अनुमति भारतीय पुरातत्व विभाग से दिलवाने में राठौड़ के प्रयास ही सफल रहे। पुष्कर के पवित्र सरोवर में गंदा पानी न जाए। इसके लिए राज्य सरकार से अतिरिक्त धनराशि भी स्वीकृत करवाई। पुष्कर के टूरिस्ट बंगलों के जीर्णोद्धार के लिए एक करोड़ रुपया का आवंटन भी किया गया। राठौड़ पुष्कर में होने वाले धार्मिक समारोह में भी सक्रिय रहे हैं। तीर्थ गुरु होने के कारण पुष्कर में विभिन्न समाजों की धर्म शालाएं और राष्ट्रीय स्तर के कार्यालय है। समाजों के होने वाले राष्ट्रीय और प्रांतीय सम्मेलनों में भी राठौड़ मुख्य अतिथि के तौर पर भाग ले रहे हैं। हालांकि पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर का दावा भी सशक्त है, लेकिन अशोक गहलोत के संरक्षण के कारण राठौड़ का दावा भी मजबूत माना जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान के टिकट बंटवारे में गहलोत की राय और अहम हो जाएगा। धर्मेन्द्र राठौड़ को गहलोत सरकार का संकट मोचक भी कहा जाता है। सियासी संकट के समय भी राठौड़ ने विधायकों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2022)
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