राजस्थान में कांग्रेस के शासन में किसान और कृषि बेहाल। मंडी कार्मिकों को वेतन तक नहीं मिल रहा है। सीधी खरीद और संविदा खेती का कानून तो राजस्थान में 2005 में ही बन गया था। पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने गहलोत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

17 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्व कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभुलाल सैनी ने अजमेर स्थित हमारे नवनिर्मित ऑफिस का अवलोकन किया। इसी दौरान सैनी से राजस्थान के किसानों और कृषि को लेकर चर्चा हुई।  सैनी ने बताया कि भाजपा शासन में उनके कृषि मंत्री रहते हुए किसानों के हितों के लिए जो योजनाएं लागू की गई थी, उन्हें गहलोत सरकार ने बंद कर दिया। इसकी वजह से आज किसानों और कृषि की हालत बदतर हो गई है।  केंद्र सरकार में जब तीन कृषि कानून बनाए तब कांग्रेस ने भी पुरजोर तरीके से विरोध किया। लेकिन आज कांग्रेस की नीतियों से प्रदेश की कृषि उपज मंडियों का बुरा हाल है। सरकार बनने के बाद गहलोत ने मंडी शुल्क समाप्त कर वाहवाही लूटने का काम किया। लेकिन आज मंडी कर्मियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल रहा है। प्रदेश की अधिकांश मंडियां बदहाल स्थिति में है। गंभीर बात तो यह है कि सरकार ने मंडी शुल्क तो समाप्त किया, लेकिन दलालों का छह प्रतिशत कमीशन जारी रखा। हालत इतने खराब है कि मंडी के अधिकारी अब अपनी ही संपत्तियों को बेच रहे हैं। सैनी ने कहा कि कांग्रेस ने भले ही केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध किया हो, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान में वर्ष 2005 में ही किसानों से सीधी खरीद और संविदा खेती का कानून बन गया था। कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 22 जे में आज भी सीधी खरीद और संविदा खेती का प्रावधान है। प्रदेश के कई जिलों में इन कानूनों पर अमल भी किया जा रहा है। सैनी ने माना कि जब किसान से सीधी खरीद होगी तो दलालों की भूमिका समाप्त हो जाएगी।  इसी प्रकार संविदा खेती में किसानों को उच्च तकनीक मिलेगी। सैनी ने बताया कि किसानों को अपनी उपज का सही दाम दिलवाने के लिए ही भाजपा के शासन में प्रदेश के 20 जिलों में विशिष्ट मंडियां बनाई गई थी। अजमेर में फूल, गंगानगर में किन्नू, चित्तौड़ में सीताफल, कोटा में संतरा, जोधपुर में जीरा, टोंक में अमरूद, बाड़मेर में अनार, बीकानेर में खजूर की मंडियां इसलिए शुरू की गई ताकि किसान को फायदा हो सके। ऐसा निर्णय इसलिए लिया गया कि इन्हीं जिलों में इन्हीं उत्पादों को बहुतायत है। लेकिन अब ऐसी विशिष्ट मंडियां बंद हो गई है। सैनी ने बताया कि गहलोत सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के कारण ही दलहन की खेती भी बिगड़ रही है। मूंग, उड़द, तुअर, मसूर, चावला, मोठ आदि की फसलों में इलिया रोक लग गया है। सरकार ने इस रोग को रोकने में कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया है, जबकि उनकी कार्यकाल में दलहन की खेती को बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया। यही वजह रही कि राजस्थान में सात लाख हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर दलहन की खेती की गई। अतिरिक्त भूमि पर खेती होने के कारण ही राजस्थान के वार्षिक उत्पादन में वृद्धि भी हुई। बाद में हमारी इस उपलब्धि पर केंद्र सरकार ने उत्पादकता पुरस्कार भी दिया। सैनी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया कि वे किसान और कृषि के नाम पर राजनीति नहीं करें। राजस्थान के किसान तो पानी के अभाव में पहले ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यदि सरकार भी बेरुखी दिखाई गई तो फिर किसान का गुजारा होना मुश्किल है। सैनी ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि गहलोत सरकार ने अपने वादे के मुताबिक किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी नहीं की है। राजस्थान में किसान और कृषि के हालातों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर मोबाइल नंबर 9828243339 पर  पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-10-2022)
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