गुटके की आड़ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथावाचक संत मुरारी बापू पर भी निशाना साधा। तो अशोक गहलोत खुद राजस्थान में शराब का कारोबार बंद क्यों नहीं करते?
29 अक्टूबर को राजस्थान के नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची 369 फीट की शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम का लोकार्पण सुप्रसिद्ध कथावाचक और संत मुरारी बापू ने किया। इस प्रतिमा का निर्माण मिराज गुटका निर्माता मदन पालीवाल ने करवाया है। समारोह के खास मेहमान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंच से मुरारी बापू से आग्रह किया कि मदन पालीवाल से गुटके का कारोबार छुड़वा दीजिए, क्योंकि गुटका खाने से कैंसर जैसे जानलेवा रोग होते हैं। यह सही है कि तंबाकू युक्त गुटका खाने से शरीर में अनेक बीमारियां होती हैं, लेकिन सवाल उठता है कि गुटके का कारोबार बंद करने की सलाह देना, क्या सीएम गहलोत के लिए उपयुक्त मंच था? समारोह पूरी तरह धार्मिक और पूरा समारोह संत मुरारी बापू पर केंद्रित था। 29 अक्टूबर से ही बापू की 9 दिवसीय भागवत कथा भी शुरू हुई। सब जानते हैं कि मुरारी बापू भारत की सनातन संस्कृति के प्रबल समर्थक हैं। बापू अपने प्रवचनों में भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों के विकास को लेकर बापू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की है। सार्वजनिक तौर पर गुटके का मुद्दा उछाल कर गहलोत ने एक तरह से मुरारी बापू पर भी निशाना साथा। गहलोत ने यह दिखाने की कोशिश की कि मुरारी बापू के शिष्य मदन पालीवाल सामाजिक बुराई गुटके का कारोबार करते हैं। हालांकि गहलोत के हमले का मुरारी बापू ने भी सटीक और संतुलित जवाब दिया। बापू ने कहा कि मैंने तो मदन पालीवाल को रामचरित मानस का गुटका दिया है। मेरी व्यास पीठ से सभी का सम्मान है। मुरारी बापू और गुटका कारोबारी मदन पालीवाल के पारिवारिक संबंधों के बारे में भी सब जानते हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या गुटके का कारोबार छोड़ने की सलाह देना सीएम गहलोत का नैतिक अधिकार है? गहलोत मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री की हैसियत से राजस्थान में शराब के कारोबार को बहुत बढ़ा रहे है। गहलोत की नीतियों से ही प्रदेश के गली कूचों में शराब की दुकानें खुल गई हैं। उदार नीति के कारण ही दुकान पर देशी और अंग्रेजी दोनों प्रकार की शराब बिक रही है। स्कूलों से लेकर धार्मिक स्थलों के निकट शराब की दुकानें खुली हैं। राजस्थान भर में शराब बेचने में गहलोत कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। संपूर्ण शराबबंदी की मांग को गहलोत पहले ही खारिज कर चुके हैं। जो अशोक गहलोत गांधीवादी होते हुए भी शराब का कारोबार कर रहे हैं, वो किस अधिकार से गुटके का कारोबार बंद करने की सलाह दे रहे हैं? यदि गहलोत को मदन पालीवाल का मिराज गुटखा बंद करवाना है तो पहले राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी करनी होगी। ऐसा नहीं हो सकता कि गुरुजी खुद तो बैंगन खाए और शिष्यों को न खाने की सलाह दें। गहलोत माने या नहीं, लेकिन मुरारी बापू की प्रेरणा से ही मदन पालीवाल ने नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाई है। पालीवाल भी सनातन संस्कृति को मजबूत करने का हर संभव प्रयास करते हैं। मदन पालीवाल के अकेले गुटका बंद करने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए देशव्यापी नीति बनानी चाहिए। मदन पालीवाल के धर्मप्रेमी होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समारोह में योग गुरु बाबा रामदेव, स्वामी चिन्मयानंद आदि भी उपस्थित रहे।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-10-2022)
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