ख्वाजा साहब के उर्स में दरगाह की कदीमी परंपराओं को तोड़ने वालों को अब भारत सरकार ने भी चेताया। बरेलवी के मौलवियों की तकरीर और नारेबाजी पर खादिम समुदाय भी एतराज जता चुका है। चांद दिखने पर ख्वाजा उर्स अजमेर में 22 जनवरी से शुरू होगा।

भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करने वाली अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह की प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सैयद शाहिद हुसैन रिजवी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर दरगाह में कदीमी परंपरा को तोड़ने का प्रयास करने वालों को चेतावनी दी है। रिजवी ने अपने संदेश में कहा है कि चांद दिखने पर 22 जनवरी से शुरू होने वाले ख्वाजा साहब के उर्स में भाग लेने वाले सभी हजरात दरगाह की कदीमी रिवायतों के अनुरूप ही जियारत और सलाम पेश करें। यदि किसी ने नई चीज करने की कोशिश की तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। रिजवी ने उर्स में आने वाले जायरीन को बताया कि दरगाह के अंदर जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। ऐसे में रिवायतों को तोड़ने वालों की पहचान भी आसानी से हो सकेगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि दरगाह कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ही करता है। सदस्य ही अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। भारत सरकार की कमेटी के अध्यक्ष का बयान ऐसे समय में आया है, जब दरगाह की रिवायतों को तोड़ने के मुद्दे पर बरेलवी विचारधारा के कुछ लोगों और ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों में विवाद हो रहा है। अनेक खादिमों ने आरोप लगाया है कि उर्स के दौरान दरगाह के अंदर शाहजहानी और अकबरी मस्जिदों में होने वाली धार्मिक तकरीरों में बरेलवी विचारधारा से जुड़े मौलवी और विद्वान अपनी विचारधारा के अनुरूप तकरीर करते हैं और नारे लगाते हैं। इससे दरगाह की कदीमी परंपराओं का उल्लंघन होता है। खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में सभी धर्मों को मानने वाले आते हैं, इसलिए किसी एक विचारधारा के अनुरूप तकरीर नहीं हो सकती। पूर्व में उर्स के दौरान जब ऐसी घटनाएं हुई तो विवाद हुआ था। चिश्ती ने कहा कि दरगाह में सभी लोगों का स्वागत है, लेकिन आने वालों को दरगाह की कदीमी परंपराओं का ख्याल रखना होगा। चिश्ती ने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोग अपनी विचारधारा के अनुरूप ही दरगाह में एकत्रित होने का आह्वान कर रहे हैं। इससे उर्स की व्यवस्थाओं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। चिश्ती ने एक खास विचारधारा के लोगों के आव्हान की ओर पुलिस का भी ध्यान आकर्षित किया है। चिश्ती ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दरगाह की रिवायतों के विपरीत आचरण करेगा तो खादिम समुदाय बर्दाश्त नहीं करेगा। ख्वाजा साहब की दरगाह कौमी एकता के लिए जाना जाता है। दरगाह की इस मिसाल को खादिम समुदाय बनाए रखेगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब के उर्स में प्रधानमंत्री की ओर से भी मजार शरीफ पर चादर पेश की जाती है। इस परंपरा को नरेंद्र मोदी भी पिछले 8 वर्षों से पूरी अकीदत के साथ निभा रहे हैं। ख्वाजा साहब की मजार पर सूफी परंपरा के अनुरूप पेश होने वाली चादर को पीएम मोदी खुद अपने हाथों से मुस्लिम प्रतिनिधियों को सौंपते हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से संदेश भी प्रसारित होता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-01-2023)
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