आनासागर में नो कंस्ट्रक्शन जोन को पुनर्निधारण करने के प्रयास अवैध निर्माणों को बचाएंगे। क्या अजमेर नगर निगम को पुनर्निधारण के अधिकार है?
अजमेर नगर निगम का प्रशासन और कुछ पार्षद चाहते हैं कि आनासागर झील में पूर्व में घोषित नो कंस्ट्रक्शन जोन का पुनर्निधारण हो। इसलिए 12 जनवरी को हुई निगम की साधारण सभा में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। लेकिन इस चर्चा का नतीजा इसलिए नहीं निकला कि 2014 में नो कंस्ट्रक्शन जोन राज्य सरकार ने नोटिफाइड किया, तथा इस मामले को लेकर कई मुकदमे हाईकोर्ट और अजमेर की अदालतों में भी चल रहे हैं। ऐसे निगम की साधारण सभा में इस मुद्दे पर चर्चा भी नहीं होनी चाहिए। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि निगम प्रशासन और कुछ पार्षद उन कब्जाधारियों को बचाना चाहते हैं, जिन ने 2014 में नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित होने के बाद आनासागर के भराव क्षेत्र में निर्माण किए हैं। ऐसे निर्माणों को स्वयं नगर निगम चिह्नित भी किया है। चिह्नित निर्माणों की सूची हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी को भी भेजी गई है। अजीब विडंबना है कि एक ओर नो कंस्ट्रक्शन जोन में बने हुए निर्माणों को तोड़ने की कार्यवाही हो रही है तो दूसरी ओर नो कंस्ट्रक्शन जोन को पुनर्निर्धारित करने के प्रयास। इससे निगम प्रशासन की नीयत को समझा जा सकता है। आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए पक्के निर्माणों को बचाने का काम तब भी हुआ, जब स्मार्ट सिटी परियोजना में आनासागर के चारों तरफ पाथवे का निर्माण किया गया। कायदे से अवैध निर्माणों को तोड़ने कर पाथवे का निर्माण किया जाना चाहिए था, लेकिन अवैध निर्माणों के आगे यानी आनासागर के और अंदर पाथवे बना दिया गया। इससे लाखों टन मिट्टी आना सागर में डाली गई ताकि पाथवे का निर्माण हो सके। यह स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों का अजूबा ही कहा जाएगा कि अब किनारे पर अवैध निर्माणों में होटल, रेस्टोरेंट, समारोह स्थल, कपड़ों जूतों आदि के शाम रूप संचालित हैं और आनासागर के अंदर पाथवे बना हुआ है। यह अजूबा तब हुआ, जब केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी का सीईओ जिला कलेक्टर को बना रखा है। कोई जिम्मेदार सरकार या सांसद विधायक यह पूछने की हिम्मत नहीं रखते कि अवैध निर्माणों को हटाए बगैर पाथवे का निर्माण क्यों किया? अवैध निर्माण की वजह से आनासागर सिकुड़ता जा रहा है। आनासागर अजमेर शहर के बीचों बीच स्थित है जो अजमेर के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाता है। लेकिन अब यह झील मल मूत्र युक्त पानी के कुंड में तब्दील हो गई है। आना सागर में ट्रीटमेंट प्लांट लगने और झील संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च होने के बाद भी करीब 10 नालों का गंदा पानी झील में गिर रहा है। अब आनासागर का पानी हाथ लगाने लायक भी नहीं है।
S.P.MITTAL BLOGGER (12-01-2023)
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