उर्स में हुए विवाद को लेकर अब बरेलवी मकतब के विद्वान मोहम्मद अशरफ आसिफ जलाली खतरनाक वीडियो सामने आया। अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती और उनके समर्थकों को धमकी। आखिर ख्वाजा साहब की दरगाह को विवादों से कौन बचाएगा? राजस्थान सरकार और अजमेर प्रशासन तमाशबीन न रहे।

अजमेर में ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में मुस्लिम माह रजब की पांच तारीख और अंग्रेजी कैलेंडर की 27 जनवरी को जो धार्मिक विवाद हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब बरेलवी मकतब (विचारधारा) के विद्वान डॉ. मोहम्मद अशरफ आसिफ जलाली का एक ऐसा वीडियो सामने आया है जो विवाद को और बढ़ावा देगा। यह वीडियो एक धार्मिक जलसे का है। इस जलसे में डॉ. जलाली ने ख्वाजा साहब के उर्स पर हुए विवाद का उल्लेख करते हुए दरगाह के खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती और उनके समर्थकों पर सख्त टिप्पणी की है। डॉ. जलाली ने धार्मिक जलसे में ऐलान किया कि ख्वाजा साहब की दरगाह को जल्द ही राक्षस प्रवृत्ति के लोगों से मुक्त करवा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 27 जनवरी को उर्स में जायरीन इबात के दौरान कलाम पेश कर रहे थे, तभी उन पर जुल्म किया गया। ऐसे कृत्य को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने ख्वाजा साहब का भी सम्मान किया है। जब हम ख्वाजा साहब का सम्मान करते हैं, तब दरगाह में सरकार की शान में कलाम पेश करने से रोकना सही नहीं है। दरगाह पर कुछ ऐसे लोगों ने कब्जा कर रखा है जो आला हजरत का भी ख्याल नहीं रखते। ऐसे लोगों को सबक सिखाने की जरूरत है। वहीं डॉ. जलाली के बयान को अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने दरगाह की परंपराओं के विपरीत माना है। चिश्ती ने भी डॉ. जलाली पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि दरगाह की कदीमी रिवायतों को हर कीमत पर बनाए रखा जाएगा। खादिम समुदाय हर चुनौती का सामना करने को तैयार है। ख्वाजा साहब की दरगाह की पहचान कौमी एकता की है। इस पहचान को बनाए रखा जाएगा। चिश्ती ने डॉ. जलाली का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पुलिस को भी उपलब्ध करवा दिया है। इससे पहले दरगाह कमेटी के सदस्य बाबर अशरफ के वीडियो पर भी सरवर चिश्ती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। बाबर ने भी अपने वीडियो में 27 जनवरी के विवाद के लिए सरवर चिश्ती को जिम्मेदार ठहराया था और अब बरेलवी मकतब के मुस्लिम विद्वान डॉ. मोहम्मद अशरफ आसीफ जलाली ने भी अपना गुस्सा सरवर चिश्ती पर उतारा है। सरवर चिश्ती ने दोनों ही वीडियो पर उचित कार्यवाही का आग्रह किया है। हालांकि यह विवाद मुस्लिम विचारधाराओं के बीच का है, लेकिन यदि डॉ. जलाली अपने ऐलान के अनुरूप दरगाह में कोई कार्यवाही करते हैं तो माहौल बिगड़ सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि दरगाह की पहचान कौमी एकता के तौर पर भी है। यहां हिन्दू समुदाय के लोग भी जियारत के लिए आते हैं। सामान्य दिनों में तो मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू जायरीन आते हैं। ऐसे में दरगाह से जुड़ी सभी संस्थाओं और ख्वाजा साहब के प्रति अकीदत रखने वाला का यह दायित्व है कि दरगाह की कौमी एकता की पहचान बनी रहे। मौजूदा समय में जो गतिविधियां हो रही है उससे माहौल बिगडऩे की आशंका हो गई है। ऐसे में माहौल में  राजस्थान सरकार और अजमेर प्रशासन को तमाशबीन बने नहीं रहना चाहिए। संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी मुस्लिम धार्मिक जलसे में खादिमों की संस्था के जिम्मेदार पदाधिकारी पर इतनी कठोर टिप्पणी की गई है। डॉ. जलाली एक मुस्लिम विद्वान और इस्लाम के जानकार है। उनकी धार्मिक सभाओं में हजारों मुसलमान उपस्थित रहते हैं तथा देश विदेश में उनके लाखों अनुयायी हैं। जिस सभा में खादिमों के पदाधिकारी कठोर टिप्पणियां की गई उस सभा में लोगों से हाथ उठवाकर संकल्प भी करवाया गया। डॉ. जलाली की सभा का पूरा माहौल धार्मिक उत्साह वाला रहा। प्रशासन की भी यह जिम्मेदारी है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियो को गंभीरता से ले। 
S.P.MITTAL BLOGGER (07-02-2023)
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