बांद्रा हरिद्वार मेल के यात्री पानी और चाय के लिए तरसे। अजमेर रेलवे स्टेशन की पार्किंग पर अवैध वसूली। 25 के बजाए 50 रुपए वसूला जा रहा है शुल्क।

17 फरवरी की पूरी रात और 18 फरवरी को सुबह 11 बजे तक बांद्रा हरिद्वार मेल (ट्रेन संख्या 19031) के यात्रियों को पानी और चाय के लिए भी तरसना पड़ा। पानी नहीं मिलने से छोटे बच्चे ज्यादा परेशान हुए। आमतौर पर एक्सप्रेस ट्रेनों में आईआरसीटीसी द्वारा कैटरिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, लेकिन 17 फरवरी की रात और 18 फरवरी की सुबह 11 बजे तक बांद्रा हरिद्वार मेल में आईआरसीटीसी की ओर से कैटरिंग की कोई सुविधा नहीं दी गई। हरिद्वार तीर्थ स्थल होने के कारण अजमेर रेलवे स्टेशन से भी बड़ी संख्या में यात्री हरिद्वार जाते हैं। 17 फरवरी को जो यात्री अजमेर से रवाना हुए, उन्होंने बताया कि 15 घंटे के सफर में आईआरसीटीसी का एक भी कर्मचारी चाय, पानी, नाश्ता, डिनर आदि का ऑर्डर लेने नहीं आया। इस ट्रेन में अन्य वेंडर भी चाय पानी सप्लाई करने के लिए नहीं आए, जिसकी वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। क्योंकि रेलवे स्टेशनों पर ठहराव कम है, इसलिए यात्रियों ने संबंधित स्टेशन पर उतरने की जोखिम भी नहीं ली। वैसे भी वरिष्ठ नागरिक तो स्टेशन पर उतर ही नहीं सकते। कई बार यात्रियों ने टीटीई से शिकायत भी की, लेकिन टीटीई ने कोई सहयोग नहीं किया। यात्रियों की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब लगातार 15 घंटे आईआरसीटीसी की कैटरिंग की सुविधा एक्सप्रेस ट्रेन में नहीं मिले, तब रेलवे के हालातों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल उठता है कि जब यात्रियों ने टीटीई से शिकायत की तो फिर समस्या का समाधान क्यों नहीं हुआ? सवाल यह भी है कि आईआरसीटीसी की इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है। एक ओर यात्री ट्रेनों में आईआरसीटीसी मोबाइल एप जारी कर सुविधाओं को बढ़ाने का दावा कर रहा है, वहीं बांद्रा हरिद्वार जैसे लंबी दूरी की ट्रेन में कैटरिंग सुविधा नहीं है। 
अवैध वसूली:
अजमेर रेलवे स्टेशन के गांधी भवन चौराहे के सामने स्थित रेलवे की पार्किंग में वाहन चालकों से निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली की जा रही है। रेलवे ने प्रति दो घंटे के 25 रुपए निर्धारित कर रखे हैं, लेकिन जब कोई कार मालिक अपनी गाड़ी इस पार्किंग में खड़ा करता है तो उसे पचास रुपए की रसीद दे दी जाती है। वाहन चालक को पचास रुपए देने के लिए ही बाध्य किया जाता है। जब कोई जागरुक वाहन चालक बोर्ड पर लिखे 25 रुपए का हवाला देता है, तो उसके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। ठेकेदार के कार्मिक मारपीट पर उतर आते हैं। इन कार्मिकों का खुलेआम कहना है कि यहां रेलवे के आदेश नहीं बल्कि ठेकेदार की दादागिरी चलती है। 25 रुपए की बजाए पचास रुपए वसूलने की शिकायत कई बार जीआरपी और रेलवे के अधिकारियों को की गई है,लेकिन आज तक भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। इससे प्रतीत होता है कि जीआरपी और रेल प्रशासन का संरक्षण भी ठेकेदार को प्राप्त है। जानकार सूत्रों के अनुसार टेंडर की शर्तों के मुताबिक ठेकेदार को पार्किंग शुल्क की पर्ची मशीन के द्वारा दी जानी चाहिए जिस पर समय भी अंकित हो, लेकिन इस पार्किंग में छपी हुई पर्ची दी जाती है, जिस पर समय हाथ से अंकित किया जाता है। यदि मशीन द्वारा पर्ची दी जाए तो फिर बेईमानी नहीं हो सकती है। चूंकि रेल अधिकारियों की मिली भगत है, इसलिए ठेकेदार को मशीन वाली पर्ची देने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-02-2023)
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