भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने वसुंधरा राजे ने फिर ठोकी ताल। अजमेर दौरे में संगठन ने दूरी बनाई। कांग्रेस की नहीं, यह गुट विशेष की सरकार है। मलाई के पद छीन लिए जाएं तो सत्ता के लालची कांग्रेस छोड़कर भाग जाएंगे-कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा।

राजस्थान में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की सुरक्षा बढ़ाने, विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाने, एक माह में दो बार पीएम मोदी की सभाएं होने जैसे अनेक निर्णयों के बाद एक बार फिर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने ताल ठोक दी है। राजे ने 17 फरवरी को अजमेर जिले का दौरा किया। दौरे का उद्देश्य तो ब्यावर के भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की माताजी के निधन पर संवेदना प्रकट करना था। लेकिन जिले के किशनगढ़ टोल प्लाजा से लेकर ब्यावर के किशनपुरा गांव (विधायक रावत का पैतृक घर) तक जिस हंगामे के साथ वसुंधरा राजे का स्वागत हुआ उससे जाहिर था कि यह राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन है। मसूदा विधानसभा क्षेत्र में आने वाले खरवा चौराहे पर तो राजे के आने से पहले ही समर्थकों ने हर्ष फायरिंग कर दी। इससे राजे के समर्थकों के उत्साह और दबंगता का अंदाजा लगाया जा सकता है। रास्ते भर जो लोग स्वागत के लिए आए उनके साथ राजे ने आत्मीयता दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जगह जगह अपने संबोधनों में राजे ने कहा कि राजनीति तो आती जाती रहती है और राजनीति तस्वीर लगाने और हटाने का भी कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रदेश की जनता से मेरा जुड़ाव तो दिल से है। मैंने भाजपा में युवा मोर्चे से शुरुआत की और आज आम लोगों के प्यार और आशीर्वाद से यहां तक पहुंची हंू। 36  कौमों को साथ लेकर अभी प्रदेश का और विकास करना है। राजे के इस दौरे के राजनीतिक मायने इसी से निकाले जा सकते हैं जिस किशनपुरा गांव में दिंवगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी, उसी किशनपुरा गांव में एक सार्वजनिक सभा को भी संबोधित किया। इस सभा में भीड़ जुटाने के लिए राजे के भरोसेमंद पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी और पूर्व मंत्री यूनुस खान पिछले तीन दिन से ब्यावर में डेरा डाले रहे हैं। यूनुस खान राजे के मुख्यमंत्री रहते परिवहन मंत्री रहे, इसलिए उन्हें पता है कि राजनीतिक सभाओं में भीड़ के लिए बसों और अन्य वाहनों का इंतजाम कैसे होता है। यह बात अलग है कि विधायक रावत की माताजी का निधन हुए दो माह गुजर गए। शुरू के 12 दिनों में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, गुलाबचंद कटारिया आदि नेताओं ने गांव आकर अपनी संवेदनाएं प्रकट कर दी थीं। शेखावत और कटारिया जब ब्यावर आए, तब देहात भाजपा के जिलाध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा भी साथ थे, लेकिन वसुंधरा राजे के साथ भूतड़ा नजर नहीं आए। ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के छह मंडल है, लेकिन राजे के साथ्ज्ञ एक भी मंडल अध्यक्ष उपस्थित नहीं था। असल में पूरे दौरे में संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों ने राजे से दूरी बनाए रखी। अलबत्ता देहात भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत ने राजे के प्रति वफादारी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सारस्वत पूरे दौरे में राजे के साथ रहे तथा जगह जगह स्वागत करवाने में भी सारस्वत की मेहनत रही। राजे के अजमेर दौरे से एक बार भाजपा का माहौल गर्म हो गया है। देखना होगा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व राजे के अजमेर दौरे को किस नजरिए से देखता है। वैसे राजे ने राष्ट्रीय नेतृत्व को दर्शा दिया है कि विधानसभा चुनाव में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। राजे के समर्थक पहले ही मांग कर चुके हैं कि चुनाव में राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए। 
विधायक मीणा की खरी-खरी:
17 फरवरी को न्यूज 18 नेटवर्क के राजस्थान चैनल पर कांग्रेस की आंतरिक स्थिति को लेकर लाइव डिबेट हुई। इस डिबेट में मैं एक पत्रकार के तौर पर उपस्थित रहा, जबकि कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर पांच बार के विधायक रामनारायण मीणा ने भाग लिया। सीएम अशोक गहलोत बार बार दावा करते हैं कि इस बार कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी। रामनारायण मीणा उन विधायकों में शामिल हैं जो जुलाई-अगस्त 2020 में राजनीतिक संकट के समय मुख्यमंत्री गहलोत के साथ होटलों में बंद रहे, लेकिन अब मीणा का मानना है कि गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार कांग्रेस की नहीं बल्कि एक गुट विशेष की है। 17 फरवरी को लाइव डिबेट में एंकर हेमंत के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को गुटबाजी जल्द से जल्द खत्म करना चाएिह। जो निर्णय लेना है वह जल्द लिया जाए। यदि अब भी अनिर्णय की स्थिति रही तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा। मीणा ने स्पष्ट कहा कि करेप्ट लोगों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया है। यदि ऐसे सत्ता के लालची लोगों से पद छीन लिया तो कांग्रेस छोड़ कर भाग जाएंगे। ऐसे लोगों ने पद हथिया लिए हैं, जिनका कांग्रेस की विचारधारा से कोई सरोकार नहीं है। मैं हमेशा फील्ड में रहता हंू। अपने खेत पर ही चौपाल लगा कर लोगों की समस्याओं का समाधान करता हूं, लेकिन मंत्री के पद ऐसे लोगों ने हथिया लिए है जो करेप्ट हैं। ऐसे करेप्ट लोगों को भी हटाया जाना चाहिए। जो मंत्री, सरपंच बनने के लायक नहीं है, वह मंत्री बन घूम रहे हैं, इससे भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-02-2023)
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