प्राइवेट डॉक्टरों के समर्थन में सरकारी डॉक्टर्स भी हड़ताल पर। आखिर राइट टू हेल्थ को प्राइवेट अस्पतालों पर क्यों थोपा जा रहा है? डॉक्टरों पर पुलिस लाठीचार्ज को मंत्री खाचरियावास ने गलत बताया।

राइट टू हेल्थ का मतलब स्वास्थ्य का अधिकार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी निर्वाचित सरकार की होती है। लेकिन ऐसा लगता है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार अपनी जिम्मेदारी को प्राइवेट अस्पतालों पर थोप रही है। प्राइवेट अस्पताल इमरजेंसी मरीज का इलाज निशुल्क करे, की मंशा को लेकर सरकार राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पास करवाना चाहती है। इस बिल के प्रावधानों के विरोध में राजस्थान भर के चार हजार प्राइवेट अस्पताल पिछले चार दिनों से बंद पड़े हैं। 21 मार्च को सरकारी अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकों ने पहले दो घंटे और फिर चौबीस घंटे कार्य बहिष्कार की घोषणा कर दी। सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधान सरकारी चिकित्सकों के विरुद्ध भी हैं उन्होंने कहा कि इस मौके पर वे प्राइवेट चिकित्सकों के समर्थन में है। यदि सरकार अपनी जिद पर अड़ी रही तो सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को भी बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। 21 मार्च को सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों के द्वारा कार्य बहिष्कार किए जाने से प्रदेश भर के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक सरकार बिल को वापस नहीं लेती तब तक प्राइवेट अस्पताल बंद रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस बिल के बाद प्राइवेट अस्पतालों का चलना मुश्किल हो जाएगा। प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सकों का कहना है कि बिल के प्रावधान पहले सरकारी अस्पतालों में लागू किए जाए। सरकार अपने अस्पतालों की दशा तो सुधारना नहीं चाहती और अपनी जिम्मेदारी को प्राइवेट अस्पतालों पर थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि हड्डी रोग के अस्पताल में हृदय रोग वाले मरीज का इलाज संभव नहीं है। लेकिन सरकार चाहती है कि हर प्राइवेट अस्पताल में हर इमरजेंसी मरीज का इलाज हो जाए। यदि कोई अस्पताल इलाज से मना करेगा तो उसके विरुद्ध सजा देने के सख्त प्रावधान किए गए हैं। बिल के विरोध में राजधानी जयपुर में स्टेच्यू सर्किल पर डॉक्टरों ने महापड़ाव कर रखा है। प्रदेश के हर शहर में प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। चिकित्सकों का यह भी कहना है कि सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना और आरजीएचएस में मरीजों के इलाज के लिए जो न्यूनतम दरे निर्धारित कर रखी है उनके अनुरूप भी प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा था। प्राइवेट अस्पताल सरकार को हर स्तर पर सहयोग कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी सरकार एक ऐसा कानून बनाना चाहती है जो प्राइवेट अस्पतालों में ताले लगवा देगा। 
लाठीचार्ज की निंदा:
राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि 20 मार्च को जयपुर में प्राइवेट चिकित्सकों पर पुलिस का लाठीचार्ज हुआ वह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चिकित्सक भी हमारे परिवार के सदस्य हैं। खाचरियावास ने कहा कि वे चिकित्सकों के प्रतिनिधियों के संपर्क में है और उनका प्रयास है कि सरकार के साथ हो रहे गतिरोध को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए। उन्होंने माना कि प्राइवेट अस्पतालों में कार्य बहिष्कार होने से प्रदेश भर के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-03-2023)
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