तो क्या धर्मेन्द्र राठौड़ की सिफारिश से बनी द्रोपदी कोली अजमेर नगर निगम में प्रतिपक्ष की नेता? कांग्रेस के 18 में से 16 निर्वाचित पार्षदों ने द्रौपदी को हटाने की मांग की। आखिर डिजनीलैंड में बिजली का झूला टूटने के हादसे का जिम्मेदार कौन? क्या विभागों ने आँखें मींच कर अनुमति दी?
अजमेर नगर निगम में कांग्रेस के 18 निर्वाचित पार्षद हैं, इनमें से 16 पार्षदों ने 21 मार्च को जयपुर में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात कर द्रोपती कोली को प्रतिपक्ष के नेता पद से हटाने की मांग की। रंधावा और डोटासरा ने पार्षदों से कहा कि वे सात दिन शांत रहे। सात दिन बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। द्रोपदी का विरोध करने वाले पार्षदों में गत विधानसभा चुनाव में अजमेर शहर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी, नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल गुट के पार्षद भी शामिल हैं। सवाल यह भी उठता है कि जब 18 में से 16 पार्षद विरोध में हैं तो फिर द्रोपती कोली को कांग्रेस के किस नेता की सिफारिश से प्रतिपक्ष का नेता बनाया गया? जानकार सूत्रों के अनुसार आरटीडीसी के अध्यक्ष और पुष्कर से चुनाव लडने के लिए लालायित धर्मेन्द्र राठौड़ की सिफारिश से द्रोपदी कोली की नियुक्ति हुई है। चूंकि राठौड़ सीएम अशोक गहलोत के करीबी है, इसलिए द्रोपदी की नियुक्ति में सीएम का इशारा भी रहा। यह बात अलग है कि द्रोपती के विरोध में तैयार ज्ञापन पर धर्मेन्द्र राठौड़ के समर्थक माने जाने वाले पार्षद नौरत गुर्जर के भी हस्ताक्षर हैं, लेकिन गुर्जर पार्षदों के उस प्रतिनिधि मंडल में शामिल नहीं हुए जो 21 मार्च को रंधावा और डोटासरा से मिलने गया था। सूत्रों की माने तो धर्मेन्द्र राठौड़ ने नौरत गुर्जर की कोहनी पर कांग्रेस के शहर अध्यक्ष का शहद लगा रखा है। शहर अध्यक्ष पद को लेकर राठौड़ और केकड़ी के विधायक रघु शर्मा में खींचतान हो रही है। रघु शर्मा अपने चहेते शक्ति प्रताप सिंह पीपरोली को शहर अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। हालांकि धर्मेन्द्र राठौड़ पुष्कर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन अजमेर में कांग्रेस नेताओं की आपसी फूट और कमजोर स्थिति में दखल दे रहे हैं। शहरी नेताओं की आपसी खींचतान के कारण ही नगर निगम में कांग्रेस पार्षद दल का नेता नहीं बन पा रहा था। इस स्थिति को देखते हुए ही द्रोपती कोली को चुपचाप नेता घोषित कर दिया गया। लेकिन अब द्रोपदी का खुला विरोध कर अजमेर के नेताओं ने धर्मेन्द्र राठौड़ को भी चुनौती दे दी है। द्रोपदी मौजूदा समय में सेवादल की महिला शाखा की प्रदेशाध्यक्ष भी हैं, ऐसे में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत की अनदेखी कर द्रौपदी को नेता प्रतिपक्ष का महत्वपूर्ण पद भी दे दिया गया। इतना ही नहीं गत वर्ष हुए मेयर के चुनाव में भी द्रोपदी को ही कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया। अजमेर दक्षिण सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक कांग्रेस नेता हेमंत भाटी और राजकुमार जयपाल के समर्थकों का मानना है कि यदि द्रोपदी को राजनीति में इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रही तो अगले विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर क्षेत्र से टिकट की दावेदारी भी करेंगी। तब हेमंत भाटी और डॉ. जयपाल का क्या होगा? यह बात अलग है कि ये दोनों ही नेता दो दो बार चुनाव हार चुके हैं। 18 में से 16 पार्षद भले ही खिलाफ हों, लेकिन द्रोपती कोली का कहना है कि अगले कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा। जो लोग मेरे नेता पद पर आपत्ति कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि मैं 1990 से लगातार पार्षद हूं और हमेशा कांग्रेस के प्रति समर्पित रही हंू। वैसे भी उदयपुर और रायपुर अधिवेशन में महिलाओं और युवाओं को 50 प्रतिशत पद देने का निर्णय लिया गया है।
हादसे का जिम्मेदार कौन?:
21 मार्च की रात को अजमेर के कुंदन नगर क्षेत्र में चल रहे डिजनीलैंड में बिजली का एक झूला 50 फिट ऊंचाई से जमीन पर आ गिरा। यह हादसा झूले की जंग लगी केबल के टूटने से हुआ। इस हादसे में 16 महिलाएं और बच्चे घायल हो गए। हालांकि किसी के गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन झूला जब पचास फिट ऊंचाई से धड़ाम से जमीन पर गिरा तो झूले में बैठे सभी लोगों के कमरे में झटका लगा। कई बच्चे तो घबरा कर रोने लगे। अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बच्चों और महिलाओं को छुट्टी तो दे दी गई, लेकिन सवाल उठता है कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है? डिजनी लैंड को शुरू करने से पहले जिला प्रशासन और संबंधित विभाग से अनुमति ली जाती है। सवाल उठता है कि क्या यह अनुमति आंख मीच कर दी गई? किसी भी विभाग ने झूलों की गुणवत्ता को जांचने का काम नहीं किया। यदि जांच पड़ताल कर अनुमति दी जाती तो यह हादसा नहीं होता। सिविल लाइन थाना प्रभारी दलबीर सिंह ने बताया कि हादसे को लेकर डिजनीलैंड संचालक ब्यावर निवासी अरुण सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि किसी की भी लापरवाही सामने आई तो उस पर भी नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल डिजनी लैंड मेले को सीज कर दिया गया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-03-2023)
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