डीके शिवकुमार को गृह विभाग मिलने पर ही कर्नाटक में सरकार की स्थिरता। राजस्थान में सचिन पायलट को गृह मंत्री नहीं बनाया इसलिए पांच वर्ष तक राजनीतिक संकट रहा। संविधान में डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं, कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही शपथ लेनी होती है।

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार डीके शिवकुमार ने आखिर कर डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लिया है। यानी उन्हें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अधीन काम करना होगा। सिद्धारमैया और डीके 20 मई को शपथ लेंगे, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की स्थिरता गृह विभाग पर निर्भर करेगी। यदि डीके को गृहमंत्री बनाया जाता है तो सरकार की स्थिरता की उम्मीद है। लेकिन यदि डीके को गृह विभाग नहीं दिया जाता तो फिर कर्नाटक में राजस्थान जैसा राजनीतिक संकट देखने को मिल सकता है। दिसंबर 2018 में सोनिया गांधी के दबाव से ही राजस्थान में सचिन पायलट ने डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लिया था। कर्नाटक में अभी तो रुतबा डीके का है वही रुतबा 2018 में राजस्थान में पायलट का था। तब मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत ने पायलट को अपनी कैबिनेट में स्वीकार तो किया, लेकिन गृह विभाग नहीं दिया। पायलट को पंचायती राज, पीडब्ल्यूडी, आईटी जैसे साधारण विभाग दिए गए। उम्मीद थी कि पायलट को गृह विभाग दिया जाएगा। ताकि उनका सम्मान हो सके। जानकारों की मानें तो पायलट को जो विभाग दिए गए उनमें भी ऐसे आईएएस लगाए गए जो सीधे मुख्यमंत्री के निर्देशों की पालना करते थे। यानी पायलट की अपने ही विभागों में नहीं चलती थी। शपथ ग्रहण के बाद से ही जो खींचतान शुरू हुई उसी का नतीजा रहा कि अगस्त 2020 में सचिन पायलट 18 विधायकों को लेकर दिल्ली चले गए। इधर, सरकार बचाने के लिए गहलोत को एक माह तक विधायकों के साथ होटलों में कैद होना पड़ा। विधानसभा के अगले चुनाव आते आते राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच इतनी दूरियां बढ़ गई है कि पायलट को अपनी ही सरकार के खिलाफ जनसंघर्ष पदयात्रा निकाली पड़ रही है। जानकारों की मानें तो 2018 में यदि पायलट को गृह विभाग दे दिया जाता तो सरकार की स्थिरता बनी रहती। गहलोत ने न केवल गृह विभाग अपने पास रखा बल्कि वित्त, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी अपने ही पास रखे। असल में किसी भी सरकार में गृह विभाग का खास महत्व होता है। प्रदेश की संपूर्ण पुलिस गृह मंत्री के अधीन काम करती है। यहां तक कि एसीबी जैसी एजेंसियां भी गृह मंत्री के अधीन होती है। मुख्यमंत्री के बाद सबसे महत्वपूर्ण पद गृह मंत्री का माना जाता है। हालांकि सिद्धारमैया और डीके शिव कुमार के सामने राजस्थान का उदाहरण है। देखना है कि राजस्थान की स्थिति को देखते हुए कर्नाटक में कैसे तालमेल बैठाया जाता है। पायलट के समर्थकों का कहना है कि 2018 में कांग्रेस की सरकार बनाने में पायलट की भूमिका थी, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट का अपेक्षित सम्मान भी नहीं किया। यही वजह है कि आज दोनों नेता आमने सामने हैं। 
डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं:
संविधान में डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं होता है। मुख्यमंत्री के बाद कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई जाती है। कर्नाटक में डीके शिव कुमार भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही राज्यपाल से शपथ ग्रहण करेंगे। शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री की ओर से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा की जाती है। मंत्रियों को विभाग भी मुख्यमंत्री की सिफारिश पर ही आवंटित होते हैं। कैबिनेट मंत्री के बाद राज्य मंत्री और उपमंत्री की भी शपथ दिलाई जाती है। मीडिया में डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम लिखा जाए लेकिन संविधान में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा ही मिलेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-05-2023)
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