आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की महत्वाकांक्षा ने देश भर में कांग्रेस की बदनामी करवाई। अजमेर के मामले में पुलिस में दर्ज मुकदमा और विवाद बढ़ाएगा।

18 मई को अजमेर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जो जूतम पैजार हुई उसके वीडियो राष्ट्रीय न्यूज चैनलों पर प्रसारित हुए और 19 मई को देशभर के अखबार में कांग्रेस की बदनामी वाली खबरें प्रकाशित हुई। मीडिया रिपोर्ट में कांग्रेस की इस जूतमपैजार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थकों के बीच बताया गया। लेकिन हकीकत यह है कि यह जूतमपैजार राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की महत्वाकांक्षा का नतीजा है। राठौड़ पिछले एक डेढ़ वर्ष से अजमेर की राजनीति में सक्रिय हैं। हालांकि इससे पहले राठौड़ का अजमेर से कोई सरोकार नहीं रहा। पूर्व में उन्होंने बानसूर और जयपुर से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगहों पर हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अब उन्हें लगता है कि अजमेर से चुनाव लड़कर विधायक बन जाएगा। पहले उन्होंने पुष्कर में सक्रियता दिखाई और अब अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता दिखा रहे हैं। चूंकि राठौड़ को सीएम अशोक गहलोत का संरक्षण है, इसलिए अजमेर में उन्होंने अपने कुछ समर्थकों की टीम तैयार कर ली है। लेकिन इस टीम में वो ही लोग शामिल हैं जो लाभ का कोई पद चाहते हैं। यदि राठौड़ को मुख्यमंत्री का संरक्षण न हो तो कोई भी कार्यकर्ता और नेता राठौड़ के साथ नजर नहीं आए। 18 मई को भी अजमेर उत्तर में गत चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता के समर्थकों के साथ ही राठौड़ के समर्थकों की भिड़ंत हुई। असल में रलावता के समर्थक राठौड़ को अजमेर से भगाना चाहते हैं, इसलिए पहले राठौड़ के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। जब राठौड़ के एक समर्थक ने विरोध किया तो रलावता के समर्थकों ने पिटाई कर दी। कांग्रेस के कार्यकर्ता वैशाली नगर स्थित गोविंद समारोह स्थल पर एकत्रित हुए थे। इसी स्थान पर कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश की सह प्रभारी अमृता धवन को कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने आना था, लेकिन अमृता धवन के आने से पहले ही रलावता और राठौड़ के समर्थकों में जूतमपैजार हो गई। यह सही है कि रलावता पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक है। लेकिन 18 मई के झगड़े में सचिन पायलट की कोई भूमिका नहीं थी और न ही पायलट ने अपने किसी कार्यकर्ता को हंगामा करने के निर्देश दिए। शहर कांग्रेस कमेटी के निर्वतमान अध्यक्ष विजय जैन भी पायलट के समर्थक हैं। लेकिन जब शहर कांग्रेस कमेटी की बैठक में धर्मेंद्र राठौड़ भीड़ को लेकर आ गए तो विजय जैन चुपचाप बैठक को छोड़कर बाहर आ गए। विजय जैन का उद्देश्य अमृता धवन को सिर्फ जमीनी हकीकत से अवगत कराना था। यदि बैठक में धर्मेन्द्र राठौड़ अपनी महत्वाकांक्षा नहीं दिखाते तो हंगामा भी नहीं होता। अभी यह तय नहीं है कि धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का टिकट किस विधानसभा क्षेत्र से मिलेगा। लेकिन राठौड़ ने अपनी महत्वाकांक्षा की वजह से जिले भर की राजनीति में तनाव कर रखा है। कार्यकर्ताओं को इसी बात पर नाराजगी है कि राठौड़ स्काई लैब की तरह अजमेर में टपक कर राजनीति कर रहे हैं। जहां तक रलावता का सवाल है तो पिछले हार के बाद से ही अजमेर उत्तर में लगातार सक्रिय रहे हैं। भाजपा के हमलों का रलावता ने ही जवाब दिया है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में रलावता की राजनीतिक पकड़ है। ऐसे में यदि धर्मेंद्र राठौड़ अपनी टांग अड़ाएंगे तो फिर रलावता के समर्थकों में गुस्सा देखने को मिलेगा। 
दर्ज मुकदमा बढ़ाएगा विवाद:
18 मई को हंगामे के बाद राठौड़ समर्थक एडवोकेट भीम सिंह ने क्रिश्चियनगंज पुलिस थाने पर एक मुकदमा दर्ज करवाया है। इस मुकदमे में सौरभ यादव, शक्ति सिंह, चंद्रप्रकाश, नमन, प्रवेश, किशन, अकरम, पप्पू कुरैशी, अहमद हुसैन, प्रवीण आदि पर मारपीट करने और 80 हजार रुपए छीनने का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि आरोपियों में महेंद्र सिंह रलावता के पुत्र भी शामिल किए गए हैं। यह मुकदमा आने वाले समय में कांग्रेस में विवाद को और बढ़ाएगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-05-2023)
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