अशोक गहलोत और सचिन पायलट मिल कर चुनाव लड़ेंगे, इसको लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े भी उत्साहित नहीं। पायलट को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाने पर गहलोत सहमत नहीं। पायलट भी 30 मई के बाद गहलोत के विरुद्ध मोर्चा खोलने को तैयार।
हालांकि 29 मई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट के बीच विवादों को निपटाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े दिल्ली में दोनों से संवाद कर रहे हैं। लेकिन विवाद समाप्त करने को लेकर स्वयं खडग़े उत्साहित नहीं है। खडग़े का मानना है कि विवाद तभी समाप्त होंगे, जब दोनों नेता चाहेंगे। जहां तक गहलोत और पायलट के रुख का सवाल है तो दोनों के बीच अभी भी तलवारें खिंची हैं। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत, पायलट से किसी भी तरह का समझौता करने के पक्ष में नहीं है। जबकि पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ 30 मई के बाद से जन आंदोलन शुरू करने का अल्टीमेटम दे रखा है। देखा जाए तो इस अल्टीमेटम में एक दो दिन का समय रह गया है। यदि अगले एक दो दिन में पायलट और गहलोत के बीच समझौता नहीं होता है तो फिर पायलट को जनआंदोलन की शुरुआत करनी ही पड़ेगी। खडग़े इस प्रयास में हैं कि जिस प्रकार कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच समझौता करवाया गया, उसी प्रकार राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच समझौता करवाया जाए। इसके लिए पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाना जरूरी है। हालांकि अभी विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर भी दोनों पक्षों में विवाद होगा, लेकिन फिलहाल गहलोत इस बात पर सहमत नहीं है कि पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। जब तक पायलट और गहलोत आमने सामने बैठकर विवादों को नहीं सुलझाएंगे, तब तक समझौते की गुंजाइश नहीं है। पिछले साढ़े चार वर्षों में दोनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गहलोत ने जहां पायलट पर भाजपा से करोड़ों रुपए लेने के आरोप लगाए तो वहीं पायलट का मानना है कि गहलोत की जनविरोधी नीतियों की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। पायलट ने जन आंदोलन को लेकर जो तीन शर्तें रखी हैं उनमें पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच करवाने, राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने और पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देने की मांग रखी है। हालांकि इन मांगों को सीएम अशोक गहलोत ने खारिज कर दिया है। ऐसे में पायलट की नाराजगी बरकरार है। कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया था, ताकि गहलोत और पायलट के विवादों को निपटा जा सके। लेकिन रंधावा भी सफल नहीं हुए। असल में रंधावा ने एक तरफा रुख अपनाते हुए गहलोत का समर्थन किया, जिसकी वजह से पायलट और उनके समर्थक विधायक असंतुष्ट नजर आए। पायलट ने अजमेर से जयपुर तक जो पदयात्रा निकाली उसे भी व्यापक जनसमर्थन मिला। गहलोत सरकार के खिलाफ निकाली गई इस पद यात्रा में 14 विधायक मंत्री और पार्टी के अनेक पदाधिकारी शामिल थे। पायलट को जो जनसमर्थन मिला उसे भी कांग्रेस हाईकमान गंभीरता से ले रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-05-2023)
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