सरकार के नहीं, अपने नियम कायदे से चलती है कुचामन विकास समिति। बीएड सहित तीन कॉलेज और एक स्कूल का संचालन करती है यह संस्था। पिछले 28 वर्षों से ओम प्रकाश काबरा ही समिति के अध्यक्ष हैं।

राजस्थान के नागौर में शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध कुचामन सिटी में निजी शिक्षण संस्थाओं का जाल फैला हुआ है। इस जाल में कुचामन विकास समिति द्वारा संचालित बीएड कॉलेज, एचडी गर्ल्स कॉलेज, कुचामन कॉलेज, आदर्श बाल माध्यमिक विद्यालय आदि शिक्षण संस्थान संचालित हैं। कहने को तो संस्था का नाम कुचामन विकास समिति है, लेकिन इस समिति का मुख्य उद्देश्य शिक्षण संस्थाओं का संचालन और मुनाफा कमाना है। इस संस्था की कार्य शैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ओम प्रकाश काबरा पिछले 28 वर्षों से अध्यक्ष बने हुए हैं। काबरा पहली बार 1993 में समिति के अध्यक्ष बने और आज तक काबिज हैं। कुचामन शहर की माने जाने वाली इस विकास समिति काबरा के नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। संभवत: यह पहला मौका रहा, जब आदर्श बाल मंदिर विद्यालय की जागरुक और स्थायी अध्यापिका सुमित्रा वर्मा ने विकास समिति के निर्णयों पर आपत्ति जताई है। शिक्षिका वर्मा ने न केवल आपत्ति जताई बल्कि संस्था में होने वाले नियम विरुद्ध कार्य की शिकायत नागौर के जिला शिक्षा अधिकारी से भी की है। वर्मा का आरोप है कि विकास समिति उनके साथ साथ अध्यापिका शारदा और स्टाफ चैनसुख सोलंकी को भी नौकरी से निकाल दिया है। जबकि वे पिछले बीस वर्षों से काम कर रहे हैं। 2012 में उन्हें स्थायी होने का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया। लेकिन अब उन्हें एक झटके में नौकरी से निकाल दिया है। निकालने से पहले कोई आरोप पत्र भी नहीं दिया। कई बार आग्रह किए जाने के बाद भी नौकरी से हटाने का कारण नहीं बताया गया है। हटाए गए शिक्षकों का आरोप है कि समिति के अध्यक्ष काबरा के दबदबे के कारण सरकारी स्तर पर उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महिला सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन कुचामन विकास समिति 20 वर्ष पुरानी शिक्षिकाओं की नौकरी भी छीन रही है। वहीं विकास समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश फालतू के मुद्दे उठा रहे हैं। हमारे शिक्षण संस्थानों की परंपरा रही है कि शैक्षिक वर्ष के अंत में अवकाश की अवधि में सभी स्टाफ को हटा दिया जाता है। नए सत्र में दोबारा से भर्ती की जाती है। इस नई भर्ती में पुराने स्टाफ को प्राथमिकता दी जाती है। जिस कार्मिक का काम प्रशंसनीय होता है उसे अगले वर्ष के लिए काम पर राख लिया जाता है। इसलिए हम पुराने कार्मिकों को रिलीव का पत्र देते हैं। काबरा ने कहा कि हमारे यहां कोई कार्मिक स्थायी नहीं है, जहां तक मेरे अध्यक्ष बने रहने का सवाल है तो पदाधिकारियों के चुनाव हर तीन वर्ष में होते हैं। पिछले 28 वर्षों से मुझे ही अध्यक्ष चुना जा रहा है। हमारी शिक्षण संस्थाएं स्वपोषित है जिनमें सरकार से कोई अनुदान नहीं लिया जाता। कुछ कार्मिक माहौल को खराब करना चाहते हैं। काबरा ने कहा कि समिति और शिक्षण संस्थाओं में नियमों के अनुकूल ही काम हो रहा है। वहीं पीड़ित अध्यापिका   सुमित्रा वर्मा  ने कहा कि भले ही कुचामन विकास समिति सरकार से कोई अनुदान नहीं लेती हो, लेकिन शिक्षण संस्थाओं का संचालन तो सरकार के नियमों के तहत ही करना होगा। आखिर इन शिक्षण संस्थानों के सरकार से ही मान्यता ले रखी है। कोई समिति  अपने घर के नियमों से कॉलेज, बीएड कॉलेज और स्कूल का संचालन हीं कर सकती। इतने बड़े संस्थानों में एक वर्ष के लिए अनुबंध पर भर्ती कैसे हो सकती है? उन्होंने कुचामन विकास समिति द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है। इस पूरे प्रकरण में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9887734334 पर पीड़ित शिक्षिका सुमित्रा वर्मा से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (02-06-2023)
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