आना सागर पर हाईकोर्ट के डबल रोल के कारण भी अजमेर में बाढ़ जैसे हालात। क्या हुआ आईएएस डॉ. समित शर्मा की कमेटी की रिपोर्ट का?

बिपरजाय तूफान की बरसात से अजमेर में बाढ़ जैसे हालात हैं। संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल से  लेकर लोगों ने घरों तक में पानी घुस गया है। जलजमाव के कारण सड़कों पर चलना मुश्किल है। अजमेर में बाढ़ जैसे हालात का मुख्य कारण शहर के बीचों बीच बनी आनासागर झील है। चूंकि यह झील अजमेर के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाती पर गंभीरता दिखाई। इसके लिए प्रदेश के सीनियर आईएएस डॉ. समित शर्मा के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन भी किया गया। पूर्व में हाईकोर्ट के आदेश पर ही सरकार ने वर्ष 2014 में आनासागर के भराव क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया। डॉ. समित शर्मा की कमेटी ने नगर निगम और एडीए पर दबाव डाल कर 2014 के बाद हुए निर्माणों को चिह्नित भी करवाया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत की। यदि नो कंस्ट्रक्शन जोन में हुए अवैध निर्माण भी हट जाते तो आनासागर में पानी की भराव क्षमता बढ़ जाती। लेकिन अवैध निर्माणकर्ताओं को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। सवाल उठता है कि जब हाईकोर्ट आनासागर झील को बचाना चाहता है, तब अतिक्रमणकारियों को स्टे क्यों दिए जा रहे हैं? क्या हाईकोर्ट में आनासागर झील को बचाने और अतिक्रमण कारियों को स्टे देने वाले जज अलग अलग हैं? यदि जज अलग अलग हैं तो चीफ जस्टिस की यह जिम्मेदारी है कि आनासागर पर स्पेशल बैच बना कर सभी मामलों की सुनवाई एक साथ हो। यदि झील बचाने वाले जज ही सुनवाई करेंगे तो स्टे लेने वाले अतिक्रमणकारियों की भी पोल खुल जाएगी। आनासागर झील अतिक्रमणकारियों ने ही नुकसान नहीं पहुंचाया। बल्कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के इंजीनियरों और आईएएस अधिकारियों ने भी सत्यानाश किया है। भराव क्षेत्र में पाथवे और सेवन वंडर का निर्माण कर अतिक्रमणकारियों को ही फायदा पहुंचाया गया है। सरकारी और गैर सरकारी अवैध निर्माणों की वजह से आनासागर का भराव क्षेत्र कम हो गया है। यही वजह है कि बरसात में आनासागर के किनारे बनी कॉलोनियों में पानी भर जाता है और जब इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग शोर मचाते हैं तो चैनल गेट खोल कर आनासागर झील को खाली कर दिया जाता है। जब पानी की निकासी होती है तो  स्कैप चैनल (नाला) का पानी निचली बस्तियों में तबाही मचा देता है। यानी जो आनासागर शहर की सुंदरता बढ़ता है, वह अब मुसीबत बन गया है। इस मुसीबत से शहरवासियों को सिर्फ हाईकोर्ट ही बचा सकता है। जहां तक अजमेर के राजनेताओं का सवाल है तो ये लोग सिर्फ अपने स्वार्थ पूरे करते हैं। अजमेर की मुसीबत के लिए कोई भी जिम्मेदार लेने को तैयार नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-06-2023)
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