महात्मा गांधी को इतना सम्मान तो कांग्रेस ने 60 वर्षों में भी नहीं दिलवाया। साउथ एशिया की ताकत अब चीन नहीं भारत है। 24 घंटे में तीन बार भारत के पीएम मोदी ने राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया। ब्राजील अब होगा 21 देशों के समूह का अध्यक्ष।
10 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन किया। जी-20 की बैठक में भाग लेने आए सभी राष्ट्राध्यक्षों को दिल्ली स्थित गांधी जी के समाधि स्थल राजघाट पर एकत्रित किया और फिर सभी ने अपने अपने देश की ओर से समाधि स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित किए। अमेरिका से लेकर इंडोनेशिया तक के राष्ट्राध्यक्षों ने हमारे महात्मा गांधी के सामने अपना सिर झुकाया। देश में आजादी के बाद साठ वर्षों तक कांग्रेस का शासन रहा, लेकिन इतिहास गवाह है कि 10 सितंबर वाला सम्मान महात्मा गांधी को कभी नहीं मिला। कांग्रेस महात्मा गांधी को अपनी व्यक्तिगत धरोहर मानती है। लेकिन पीएम मोदी ने गांधी जी को देश की धरोहर मानते हुए 21 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को समाधि स्थल पर एकत्रित कर दिया। मोदी ने बहुत ही व्यवस्थित तरीके से राष्ट्राध्यक्षों से महात्मा गांधी को सम्मान दिलवाया। समाधि स्थल पर पहले से ही सभी देशों के झंडे के साथ पुष्प चक्र रखे गए थे। सभी राष्ट्राध्यक्ष अपने अपने देश के पुष्प चक्र के सामने खड़े हुए और हाथ लगाकर पुष्प चक्र को अर्पित करने की रस्म निभाई। जब गांधी जी की समाधि पर एक साथ 21 देशों के राष्ट्राध्यक्ष खड़े थे, तब महात्मा गांधी के प्रति सम्मान का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन राष्ट्राध्यक्षों में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल थे। सभी राष्ट्राध्यक्षों ने इस बात की प्रशंसा की कि जी-20 के शिखर सम्मेलन के अवसर पर पीएम मोदी ने बड़े ही व्यवस्थित तरीके से महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दिलाई है। इससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर महात्मा गांधी के सम्मान में और वृद्धि होगी। राष्ट्राध्यक्ष गांधी की समाधि पर एकत्रित हों यह निर्णय भी पीएम मोदी का रहा।
अब भारत होगा नेता:
चीन भले ही साउथ एशिया में स्वयं को सबसे शक्तिशाली देश मानता हो, लेकिन दिल्ली में जी-20 का सम्मेलन करवा कर पीएम मोदी ने यह दर्शा दिया है कि अब भारत साउथ एशिया की सबसे बड़ी ताकत होगा। चीन भले ही अपनी विस्तारवादी नीति को अपनाए, लेकिन साउथ एशिया में भारत की आवाज को अब गंभीरता के साथ लिया जाएगा। असल में चीन को यह पता था कि जी-20 समूह के माध्यम से पीएम मोदी भारत को शक्तिशाली देश के रूप में प्रस्तुत करेंगे। इसलिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आए। शी जिनपिंग की गैर मौजूदगी का इस सम्मेलन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सम्मेलन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि अब जी-20 का अफ्रीकन यूनियन को भी सदस्य बना लिया गया है। यानी अफ्रीका में जितने भी देश हैं वे सब इस समूह के सदस्य बन गए हैं। मोदी ने इस समूह का स्वरूप भी बदल दिया है। अब जी-20 के बजाए जी-21 कहा जाएगा। इसे मोदी की विदेश नीति की सफलता ही कहा जाएगा कि अफ्रीकन यूनियन को सदस्य बनाने के लिए 20 देशों में पहले ही सहमति बना ली गई। यही वजह रही कि जब 9 सितंबर को अफ्रीकन यूनियन को सदस्यता दी गई तो किसी ने भी विरोध नहीं किया।
24 घंटे में तीन बार स्वागत:
किसी भी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब मेजबान देश के किसी प्रधानमंत्री ने 24 घंटे में 3 बार अलग अलग राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया हो। 10 सितंबर को सुबह जब महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर राष्ट्राध्यक्ष आए तो पीएम मोदी ने एक एक राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत किया और उन्हें खादी का शॉल ओढ़ाया। संक्षेप में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की जानकारी भी दी। इतने राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत करने में मोदी को एक घंटे से भी ज्यादा का समय लगा। लेकिन मोदी ने इस बात को दिखाया कि भारत में मेहमान नवाजी बड़ी आत्मीयता के साथ की जाती है। इससे पहले 9 सितंबर की रात को राष्ट्रपति भवन में डिनर के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ खड़े हो कर पीएम मोदी ने एक एक राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत किया। इतना ही नहीं 9 सितंबर की सुबह जी-20 की बैठक में शामिल होने आए राष्ट्राध्यक्षों का भी पीएम ने एक एक कर स्वागत किया। इसके साथ ही इन तीनों महत्वपूर्ण अवसरों पर भारत की सनातन संस्कृति और सभ्यता का भी प्रदर्शन किया गया। राजघाट पर जिस स्थान पर खड़े होकर मोदी ने स्वागत किया उसके पीछे महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की तस्वीर थी। 9 सितंबर की रात को राष्ट्रपति भवन में नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर के सामने खड़े होकर मोदी ने मेहमानों का स्वागत किया। 9 सितंबर की सुबह सनातन संस्कृति की प्रतीक कोणार्क चक्र के सामने खड़े होकर स्वागत किया गया।
अब ब्राजील करेगा अध्यक्षता:
जी-20 के शिखर सम्मेलन के संपन्न होने के साथ ही अब भारत की अध्यक्षता भी पूरी हो गई है। अब अगले वर्ष के लिए ब्राजील जी-20 की अध्यक्षता करेगा। दिल्ली में हुई बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा भी मौजूद रहे। महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्राजील अब जी-21 की अध्यक्षता करेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले एक वर्ष में भारत में जी-20 देशों अनेक बैठकें हुई।
S.P.MITTAL BLOGGER (10-09-2023)
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