गहलोत सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति की कथनी और करनी में फर्क है। बड़ी मछली को पकड़ते हैं तो सरकार में बेचैनी हो जाती है। सवाल, आखिर एसीबी के डीजी बीएल सोनी ने ऐसा बयान क्यों दिया?

अब जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने ही वाली है, तब एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) के रिटायर डीजी बीएल सोनी ने गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा बयान दिया है। सोनी हाल ही में डीजी के पद से रिटायर हुए हैं। सोनी ने कहा कि सरकार की ओर से दावा किया जाता है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति है। लेकिन डीजी के तौर पर मेरा अनुभव है कि कथनी और करनी में अंतर है। हम जब छोटे कार्मिक को पकड़ते थे तो कोई प्रतिक्रिया नहीं होती थी, लेकिन जब कोई बड़ा अधिकारी पकड़ा जाता था तो सरकार में बेचैनी हो जाती थी। इधर उधर से दबाव भी डलवाया जाता था। मेरे कार्यकाल में खान विभाग के संयुक्त सचिव को तीन लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया। पूरी सरकार में हलचल हो गई। हमारी लाख कोशिश के बाद भी सरकार ने संबंधित अधिकारी के लिए अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी। सोनी ने कहा कि पीसी एक्ट की धारा 17 क में एसीबी को पद के दुरुपयोग करने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। हमारे पास सबूत सहित शिकायतें आई। हमने इन शिकायतों के आधार पर सरकार से अनुमति मांगी, लेकिन अधिकांश मामलों में अनुमति नहीं मिली। सोनी ने कहा कि प्रशासनिक सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सरकार की ईमानदारी जीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिए। एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सवाल उठता है कि आखिर बीएल सोनी ने गहलोत सरकार पर ऐसा बयान क्यों दिया? जबकि सरकारी सेवा में रहते हुए सोनी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भरोसेमंद अधिकारी माना गया। गहलोत ने कई बार सार्वजनिक मंचों से सोनी की प्रशंसा भी की। इसमें कोई दो राय नहीं कि सोनी ने एसीबी का डीजी रहते बड़े बड़े अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ़्तार किया।लेकिन अब पता चला है कि सोनी ने कितने दबावों और विपरीत परिस्थितियों में काम किया। यदि वाकई जीरो टॉलरेंस वाली नीति होती तो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ज्यादा कार्यवाही होती। खान विभाग के संयुक्त सचिव के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिलना गहलोत सरकार की नीयत पर कई सवाल खड़े करता है। यहां उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के ही विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने खान मंत्री प्रमोद जैन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। भरत सिंह भी इस बात से नाराज हैं कि सबूत दिए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रमोद जैन पर कोई कार्यवाही नहीं की। भरत सिंह तो भ्रष्टाचार रूपी रावण का पुतला भी जला रहे हैं। जानकार लोगों का कहना है कि सीएम गहलोत ने बीएल सोनी का हक मार कर जूनियर आईपीएस को डीजीपी बना दिया। डीजीपी नहीं बनने का गुस्सा ही अब सोनी निकाल रहे हैं। लेकिन सोनी के बयान ने राजस्थान में भाजपा को बड़ा मुद्दा दे दिया है। 

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...