बदसलूकी से तंग आकर दो बहनों ने जान दी। शिकायत के बाद भी पुलिस से नहीं मिली मदद। इकबाल और बाबूलाल गुर्जर की मौत में फर्क क्यों कर रही है गहलोत सरकार? कांग्रेस विधायक राम निवास गवाडिय़ा का विरोध करने वाले दलितों पर लाठियां। सरकार ने मृतक व्यक्ति को सिंधी अकादमी का अध्यक्ष बनाया। आखिर राजस्थान में यह क्या हो रहा है?

राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार की ओर से इन दिनों अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापन छप रहे हैं। इन विज्ञापनों का शीर्षक है, तथ्य बताते समय। विज्ञापनों के माध्यम से विभागवार बताया है कि 2013 से 2018 के बीच भाजपा सरकार और गत 2018 से 2023 तक की कांग्रेस सरकार के विकास में कितना फर्क है। कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां कई गुना ज्यादा है। लेकिन गहलोत सरकार ने यह नहीं बताया कि राजस्थान में महिला खासकर नाबालिग बच्चियों पर अत्याचारों की क्या स्थिति हैं। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र प्रतापगढ़ जिले के घंटाली गांव में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली दो ममेरी बहनों को इसलिए जान देनी पड़ी। समय रहते पुलिस ने मदद नहीं की। दोनों नाबालिग छात्राओं के परिजन ने उन लड़कों के नाम भी पुलिस को बताए जो तंग कर रहे थे। पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं करने का नतीजा यह रहा कि 5 अक्टूबर को दोनों बहनों का स्कूल जाते समय अपहरण कर लिया। बाद में रात 8 बजे दोनों को सड़क किनारे पटक दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उस समय दोनों बदहवास हालात में थी। परिजन अपने घर ले गए, लेकिन 6 अक्टूबर की सुबह दोनों बेसुध हालत में मिली। सवाल उठता है कि जब परिजन ने बदमाश लड़कों के नाम बता दिए थे, तब पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की। जिस तरह दो आदिवासी छात्राओं की मौत हुई है, यह अपने आप में बहुत गंभीर घटना है। शर्मनाक बात तो यह है कि ऐसी घटनाएं राजस्थान में रोजाना हो रही है। 
मौत में फर्क:
सवाई माधोपुर के खवा गांव में ग्रामीण मृतक बाबूलाल गुर्जर के शव को लेकर 7 अक्टूबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। बाबूलाल की मौत टाइगर अटेक में हो गई। परिजन की मांग है कि जिस प्रकार जयपुर के मृतक इकबाल के परिजन को पचास लाख रुपए का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और डेयरी का बूथ दिया गया है, उसी प्रकार का मुआवजा बाबूलाल को भी दिया जाए। इकबाल की मृत्यु भी एक सड़क दुर्घटना के बाद उत्पन्न हुए हालातों में हुई। इसी प्रकार बाबूलाल की मौत भी टाइगर के हमले में हुई है। बाबूलाल  का परिवार गरीब है। बाबूलाल के परिजन के पास एक इंच जमीन भी नहीं है तथा चार बच्चों की जिम्मेदारी विधवा पत्नी पर है। जब इकबाल को पचास लाख रुपए दिए जा सकते हैं तो तब बाबूलाल को क्यों नहीं। 
विधायक गवाडिय़ा का विरोध:
सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों का अपने क्षेत्रों में कितना विरोध है, इसका अंदाजा परबतसर (नागौर) के विधायक रामनिवास गवाडिय़ा के विरोध से लगाया जा सकता है। 7 अक्टूबर को बिदियाद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लोकार्पण के समय राणासर हत्याकांड के पीडि़तों ने अपना विरोध प्रकट किया। पीडि़तों का कहना रहा कि अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर हम एक सप्ताह से धरना दे रहे हैं,लेकिन विधायक गवाडिय़ा दलित वर्ग के लोगों से मिलने तक नहीं आए। ग्रामीण जब विरोध कर रहे थे, तब उनके विरोध को शांत करने के लिए पुलिस ने लाठियां बरसा कर खदेड़ दिया। यानी जो ग्रामीण अपने विधायक से मदद की मांग कर रहे हैं उन पर पुलिस लाठियां बरसा रही हैं। 
मृतक को बनाया सदस्य:
6 अक्टूबर को राजस्थान सरकार के कला साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के उप शासन सचिव नवीन यादव की ओर से सिंधी अकादमी का जो गठन किया गया उसमें बीकानेर के राधाकिशन चांदवानी का नाम भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है । जबकि चांदवानी का निधन  वर्ष 2019 में ही हो चुका है। मृतक व्यक्ति को अकादमी का सदस्य बनाए जाने से प्रतीत होता है कि गहलोत सरकार बहुत हड़बड़ी में है। असल में सिंधी अकादमी के गठन का मामला सरकार के पास 2019 से ही विचाराधीन था। लेकिन पांच वर्ष गुजर जाने के बाद भी सरकार ने अकादमी का गठन नहीं किया। अब जब विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने वाली है, तब सरकार आधी रात को निर्णय ले रही है। यह भी वजह रही कि 2019 में जिन लोगों के नाम मांगे गए उन्हें बिना जांच पड़ताल किए 2023 में सदस्य मनोनीत कर दिया। सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति बिगड़ती कानून व्यवस्था हड़बड़ाहट को देखते हुए यह सवाल उठा रहा है कि आखिर राजस्थान में यह या हो रहा है? 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-10-2023)

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