वैभव गहलोत जब कंपनियों के माध्यम से करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं, तब उनके पिता राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फकीरी से कैसे की जा सकती है। वैभव गहलोत अब 30 अक्टूबर को दिल्ली में ईडी के समक्ष उपस्थित होंगे।

राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने  हाल ही में कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमीन जायदाद के मामले में स्वयं को फकीर मानते हैं तो मैं उससे बड़ा फकीर हंू। मेरे पास एक इंच जमीन भी नहीं है। न सोना है और न कार। मैंने अपने जीवन में कभी भी संपत्तियां एकत्र नहीं की। मैं तो महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाला इंसान हंू। गहलोत ने अपनी फकीरी की तुलना पीएम मोदी की फकीरी से तब की जब उनका पुत्र वैभव गहलोत कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहा है। वैभव गहलोत ने खुद स्वीकार किया है कि उनकी कंपनियां हैं जो कारोबार के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनकी कंपनियों का जुड़ाव ऐसी कंपनियों से हैं, जिन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं, लेकिन दूसरी कंपनियों की बेईमानी के लिए वे जिम्मेदार नहीं है। वैभव गहलोत ने बताया कि ईडी ने फेमा के उल्लंघन के मामले में समन जारी किया है। इस समन के आधार पर अब वे 30 अक्टूबर को ईडी के दिल्ली दफ्तर में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे। भारत की सनातन संस्कृति में पिता की सबसे बड़ी जायदाद पुत्र को ही माना गया है। जो संपत्ति पुत्र के पास है उस पर पहला अधिकार माता पिता का होता है। सीएम गहलोत बताएं कि क्या उनका अपने पुत्र से संबंध नहीं है? क्या वे वैभव गहलोत को अपने परिवार से अलग मानते हैं? सब जानते हैं कि वैभव गहलोत ही अशोक गहलोत के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। वैभव मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हैं और अपने पिता के मुख्यमंत्री पद के दम पर ही राजस्थान में क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। इतना ही नहीं वैभव गहलोत ने गत बार लोकसभा का कचुनाव अपने पिता के गृह जिले जोधपुर से लड़ा था। 26 अक्टूबर को जब ईडी से समन की खबर आई तो गहलोत ने ही अपने पुत्र वैभव गहलोत का बचाव किया। अशोक गहलोत जब अपने पुत्र को लेकर इतना मोह दिखा रहे हैं, तब अपनी फकीरी की तुलना पीएम मोदी की फकीरी से कैसे कर सकते हैं? सब जानते हैं कि पीएम मोदी के परिवार का कोई भी सदस्य कंपनियों में लिप्त नहीं है। पहली बात तो मोदी का कोई पुत्र ही नहीं है। जो भाई है वे आज भी गुजरात में साधारण जीवन व्यतीत करते हैं। मोदी अपने सनातन धर्म के प्रति जो श्रद्धा और आस्था रखते हैं, वैसी आस्था भी अशोक गहलोत में देखने को नहीं मिलती। सही मायने में ऐसे में सीएम गहलोत को अपनी फकीरी की तुलना मोदी की फकीरी से नहीं करनी चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2023)
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