अजमेर में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं पर कोई नियंत्रण नहीं इसलिए दोनों दलों में खुली बगावत उत्तर में खुली बगावत और दक्षिण में भाजपा में जबदस्त भीतर घात। धर्मेन्द्र राठौड़ की टीम बिखरी। पुष्कर में डॉ. बाहेती ने खूंटा गाड़ा तो नसीराबाद में कांग्रेस में बिखराव।

कहने को तो राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष हैं। दोनों ही दलों में अनुशासन होने का दावा किया जाता है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अजमेर के नेताओं पर भाजपा और कांग्रेस का कोई नियंत्रण नहीं है। विधानसभा चुनाव में दोनों ही दलों के नेता बेकाबू है। यही वजह है कि घोषित अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ खुली बगावत हो रही है। अजमेर उत्तर में भाजपा ने वासुदेव देवनानी को उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन अब देवनानी को हराने के लिए तीन बार के पार्षद ज्ञान सारस्वत, पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, युवा मोर्चे के पूर्व अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल आदि निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। शेखावत तो पहले भ मेयर के चुनाव में बगावत कर चुके हैं। भाजपा में प्रदेश कार्यालय से जिला प्रभारी तक बने हुए हैं, लेकिन आज बगावत करने वालों को समझाने वाला कोई नहीं है। उत्तर क्षेत्र के भाजपा नेता अपनी मर्जी से निर्णय ले रहे हैं। भाजपा में थोड़ा भी अनुशासन होता तो ऐसी खुली बगावत नहीं होती। भाजपा में हिन्दुत्व का चेहरा रही साध्वी अनादि सरस्वती ने तो देवनानी की उम्मीदवारी के विरोध भाजपा से ही त्याग पत्र देकर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। लेकिन अब साध्वी को लेकर कांग्रेस में हंगामा हो रहा है। साध्वी को अजमेर उत्तर से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना के मद्देनजर कांग्रेस नेताओं ने भी खुली बगावत कर रखी है। साध्वी के कांग्रेस में आते ही आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का गुट भी बिखर गया है। राठौड़ ने अजमेर उत्तर से चुनाव लड़ने के लिए जो तैयार की उसमें पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती आदि बड़े नेताओं को अपने पक्ष में किया, लेकिन जब धर्मेन्द्र राठौड़, डॉ. जयपाल को अजमेर दक्षिण से उम्मीदवार  नहीं बनवा सके तो उन्होंने बड़ी चतुराई से साध्वी अनादि को कांग्रेस में शामिल करवा दिया ताकि उत्तर क्षेत्र से राठौड़ का टिकट कट जाए। जो राठौड़ पिछले एक वर्ष से डॉ. जयपाल को साथ में लेकर घूम रहे थे, उन्हीं जयपाल ने राठौड़ का बिस्तर अजमेर से बांध दिया। अब साध्वी अनादि का विरोध राठौड़ समर्थक भी कर रहे हैं। डॉ. जयपाल और डॉ. बाहेती को एडीए का चेयरमैन बनाने का झांसा भी दिया गया था। लेकिन झांसा कभी सफल नहीं होता, यह बात डॉ. जयपाल और डॉ. बाहेती के अब समझ में आ गई है। यही वजह है कि डॉ. बाहेती ने पुष्कर से कांग्रेस की अधिकृत उम्मीदवार नसीम अख्तर को हराने का संकल्प ले लिया। डॉ. बाहेती अपने हजारों समर्थकों के साथ नामांकन के अंतिम दिन 6 नवंबर को नामांकन करेंगे।  बाहेती का दावा है कि वे न केवल कांग्रेस को हराएंगे, बल्कि भाजपा उम्मीदवार सुरेश रावत को अपनी जीत दर्ज करेंगे। पुष्कर में कांग्रेस को नहीं बल्कि भाजपा को भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। सुरेश रावत के सामने उन्हीं की जाति के भाजपा ओसी मोर्चे के जिला अध्यक्ष अशोक सिंह रावत ने चुनौती दी है। रावत आरएलपी के उम्मीदवार है। अशोक सिंह रावत भाजपा के अध्यक्ष डॉ. शैतान सिंह और पुष्कर स्थित कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत सेवानंद गिरी का खुला समर्थन है। डॉ. शैतान सिंह और सेवानंद गिरी ने भी भाजपा का टिकट मांगा था। लेकिन अब जब ये तीनों नेता मिलकर भाजपा के खिलाफ बगावत कर रहे हैं, तब इन नेताओं का नियंत्रित करने वाला कोई नहीं है। टिकट की घोषणा से पहले कई भाजपा नेता इन नेताओं को संरक्षण दे रहे थे, लेकिन अब संरक्षण देने वाले नेता भी बिलों में छिप गए हैं। अजमेर दक्षिण क्षेत्र से भाजपा की घोषित उम्मीदवार अनिता भदेल के सामने भले ही अभी तक खुली बगावत नहीं हुई हो, लेकिन कहा जा रहा है कि अंदर ही अंदर बगावत जोरों पर है। भदेल के सामने अजमेर की मेयर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा के पति डॉ. प्रियशील हाड़ा ने मजबूत दावेदारी जताई थी। भदेल के विरोध और हाड़ा के समर्थन अनेक पार्षदों ने जयपुर तक प्रदर्शन किया। सवाल उठता है कि भाजपा की जो पार्षद भदेल के टिकट का विरोध करते रहे क्या वे अब चुनाव में भदेल को जिताने का काम करेंगे? भदेल के प्रति मेयर और उनके पति डॉ. हाड़ा का कैसा रवैया है, यह सब जानते हैं। पांचवीं बार चुनाव लड़ रही अनिता भदेल को भी भीरतघात का आभास है, इसलिए वे अतिरिक्त इंतजाम कर रहे हैं। भदेल के लिए यह सकारात्मक बात है कि कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी द्रौपदी कोली को हराने के लिए दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हेमंत भाटी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। हेमंत भाटी की उम्मीदवारी से भले ही अनिता भदेल खुश हो, लेकिन हेमंत भाटी को इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी जीत नजर आ रही है। कांग्रेस का आम कार्यकर्ता भी द्रौपदी कोली को बेहद कमजोर उम्मीदवार मानता है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि अनिता भदेल के प्रति असंतोष का फायदा भी भाटी को मिलेगा। भाजपा के जो पार्षद भदेल का विरोध कर रहे थे, वे अंदर ही अंदर हेमंत भाटी की मदद करेंगे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार द्रौपदी कोली ने अपने समर्थकों के साथ 4 नवंबर को नामांकन दाखिल कर दिया है। आमतौर पर अजमेर उत्तर और दक्षिण के उम्मीदवार संयुक्त रूप से नामांकन दाखिल करते हैं लेकिन अजमेर उत्तर में अभी तक भी कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित नहीं हुआ है, इसलिए द्रौपदी कोली ने अकेले ही नामांकन दाखिल किया। किशनगढ़ में चुनाव से पहले ही भाजपा में दो फाड़ हो गई। भागीरथ चौधरी को भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में भाजपा के पूर्व प्रत्याशी विकास चौधरी ने न केवल पार्टी से इस्तीफा दिया, बल्कि कांग्रेस का टिकट हासिल करने में सफलता भी प्राप्त कर ली। चार नवंबर को विकास चौधरी के नामांकन के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी किशनगढ़ आए। गहलोत ने कांग्रेस के सभी नेताओं से स्पष्ट कहा कि इस बार विकास चौधरी को जितवाया जाए। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार और मौजूदा विधायक सुरेश टाक ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है। टाक को उम्मीद है कि भाजपा में दो फाड़ हो जाने से उनकी जीत आसान हो गई है। इस बार कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का समर्थन भी टाक को मिलेगा। मसूदा में भाजपा ने अपना उम्मीदवार अभी तक भी घोषित नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार और मौजूदा विधायक राकेश पारीक का कांग्रेस के कार्यकर्ता ही विरोध कर रहे हैं। वाजिद चीता और पूर्व विधायक ब्रह्मदेव कुमावत ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है। नसीराबाद में घोषित कांग्रेस के उम्मीदवार शिव प्रकाश गुर्जर का कांग्रेस के ही कार्यकर्ता खुला विरोध कर रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार और मौजूदा विधायक रामस्वरूप लांबा की पकड़ अपने आप मजबूत हो रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (04-11-2023)

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