क्या गुलामनबी आजाद की भी आलोचना करेंगे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत? बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। कांग्रेस का नेतृत्व अब गांधी वाड्रा परिवार तक सिमटा।
क्या गुलामनबी आजाद की भी आलोचना करेंगे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत?
बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर हो रहे हैं।
कांग्रेस का नेतृत्व अब गांधी वाड्रा परिवार तक सिमटा।
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बिहार चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी पार्टी नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए हैं। आजाद ने पार्टी में बढ़ते फाइव स्टार कल्चर की आलोचना की है। आजाद ने माना कि 72 वर्ष में सबसे बुरी दशा मौजूदा समय में हुई है। आजाद के बयान से कांग्रेस में खलबली मची हुई है, इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या अब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की भी आलोचना करेंगे? आजाद से पहले जब कपिल सिब्बल ने बिहार चुनाव की हार पर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, तब सबसे पहले अशोक गहलोत ने सिब्बल के बयान की आलोचना की थी। गहलोत का कहना रहा कि सिब्बल को अपनी बात पार्टी फोरम पर कहनी चाहिए। ऐसे बयानो से उन ताकतों को बल मिलता है जो कांग्रेस को कमजोर करना चाहते हैं। गहलोत के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी आलोचना की और स्वयं को पार्टी नेतृत्व के साथ बताया। कांग्रेस की राजनीति में गुलाम नबी आजाद का बहुत बड़ा कद रहा है। आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। यदि आजाद जैसा कांग्रेसी भी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बोल रहा है तो यह कांग्रेस के लिए गंभीर बात है। सीएम गहलोत हमेशा से ही गांधी परिवार के प्रति वफादार रहा है, इसलिए उनकी प्रतिक्रिया भी मायने रखती है। अब देखना होगा कि आजाद के बयान पर गहलोत क्या प्रतिक्रिया देते हैं। अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, अधीर रंजन चौधरी जैसे कांग्रेसी माने या नहीं, लेकिन अब कांग्रेस का नेतृत्व गांधी वाड्रा परिवार तक सिमट गया है। अब यदि सोनिया गांधी भी पद छोड़ेंगी तो राहुल गांधी की बहन श्रीमती प्रियंका वाड्रा को नया अध्यक्ष बना दिया जाएगा। कांग्रेस में जब तक अशोक गहलोत जैसे नेता सक्रिय रहेंगे, तब तक कांग्रेस का नेतृत्व गांधी वाड्रा परिवार के पास ही रहेगा। असल में गहलोत सरीखे नेताओं को पता है कि गांधी-वाड्रा परिवार के बगैर कांग्रेस बिखर जाएगी। भले ही गांधी-वाड्रा परिवार की नीतियों की वजह से वरिष्ठ नेता नाराज हो, लेकिन कांग्रेस का वजूद इसी परिवार से जुड़ा हुआ है। चूंकि अब राज्यों में भी कांग्रेस कमजोर हो रही है, इसलिए बड़े नेता भी सत्ताविहीन हो रहे हैं। गुलाम नबी आजाद को भी राज्य सभा का सांसद फिर से नहीं बनाया है, इसलिए राज्यसभा का प्रति पक्ष का नेता का पद भी छीन रहा है। आने वाले दिनों में आजाद के पास दिल्ली में मुफ्त का सरकारी बंगाल भी नहीं रहेगा। आजाद पिछले चालीस वर्षों से कांग्रेस में रह कर सत्ता की मलाई खा रहे हैं। गांधी परिवार को भी अब अपनी गलती का अहसास होगा। असल में आजाद जैसे कांग्रेसी एक दिन भी सत्ता के बगैर नहीं रह सकते हैं।
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