जो पाकिस्तान हमसे अनुच्छेद 370 पर मात खा चुका है, अब उसके प्रधानमंत्री इमरान खान किसान आंदोलन की आड़ में हमलावर हैं। पाकिस्तान की इस साजिश को भी समझना होगा। जबकि खुद इमरान खान के खिलाफ संयुक्त विपक्ष आंदोलनरत है। चीन भी कर रहा है साजिश।
कुछ लोग खुश हो सकते हैं कि किसानों के एक वर्ग ने पिछले 26 दिनों से देश की राजधानी दिल्ली की घेराबंदी कर रखी है। सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी यह घेराबंदी खत्म नहीं हुई है। इस घेराबंदी की आड़ में ही अब दुश्मन देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपना राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने का प्रयास किया है। इमरान का कहना है कि किसान आंदोलन जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत सरकार पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है। सब जानते हैं कि पाकिस्तान किस तरह भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दिया। जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में भी बड़े हमले करवाए। लेकिन अब पूरा देश देख रहा है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पाकिस्तान को आतंक फैलाने का कोई अवसर नहीं मिल रहा है। यदि कोई आतंकी पाकिस्तान की सीमा से घुसने का प्रयास करता है तो उसे वहीं पर ही ढेर कर दिया जाता है। जो पाकिस्तान हमसे अनुच्छेद 370 पर मात खा चुका है, अब वही किसान आंदोलन की आड़ में हमलावर है। पाकिस्तान की इस साजिश को लोगों को समझना चाहिए। खुद इमरान खान पाकिस्तान में चारों ओर से घिरे हैं, संयुक्त विपक्ष ने लाहौर तक रैलियाँ की है। यदि इमरान को पाकिस्तान की फौज का समर्थन न हो तो पाकिस्तान की आवाम सरकार को उखाड़ फेंके। लेकिन इसके उलट इमरान खान ही आतंरिक हालात खराब बता रहे हैं। जबकि सब जानते हैं कि भारत में कितना सुकून है। करोड़ों लोगों की भावनाओं के अनुरूप अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है तो जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद देशभर से आतंक खत्म हुआ है। अब पहले की तरह सीरियल ब्लास्ट की घटनाएँ नहीं होती है। देशवासी वर्ष 2014 से पहले की स्थिति को याद करें। दिल्ली में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाना भी मुश्किल हो रहा था। अब जब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत की स्थिति मजबूत हुई है, तब पाकिस्तान जैसा आतंकी देश भारत की आंतरिक स्थिति खराब बता रहा है। भारत की समृद्धि और विकास के सामने पाकिस्तान की कोई बिसात नहीं, लेकिन फिर कुछ लोगों की वजह से पाकिस्तान जैसा देश भारत पर अंगुली उठा रहा है। इस साजिश में चीन भी शामिल हैं। भारत में ऐसे कई राजनीतिक दल हैं जो चीन की विचारधारा का समर्थन करते हैं। ऐसे राजनीतिक दलों का भी किसान आंदोलन को समर्थन है। यही वजह है कि केन्द्र सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी दिल्ली की घेराबंदी खत्म नहीं हो रही है। अब यह बात भी साफ हो चुकी है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में सभी किसान नहीं है। देश के करोड़ों किसानों ने इस कानूनों का समर्थन किया है। अब तक दो करोड़ से भी ज्यादा किसानों ने नए कानूनों के अंतर्गत अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। अधिकांश किसान नए कानूनों को कृषि के हित में बता रहे हैं। सरकार ने भी किसानों की सभी शंकाओं का समाधान कर दिया है। लेकिन इसके बावजूद किसानों का एक वर्ग दिल्ली की घेराबंदी पर अड़ा हुआ है। इसमें कांग्रेस शासित पंजाब के उन लोगों की संख्या सर्वाधिक है जो पंजाब की कृषि मंडियों पर कब्जा किए हैं। नए कृषि कानून की बदौलत जब किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक राशि खेत पर ही मिल जाएगी तो फिर किसान मंडी में क्यों आएगा? मंडियों में ही तो किसान का शोषण होता है। नए कानून किसानों को शोषण से मुक्ति दिलाने वाले हैं, इसलिए मंडियों के दलाल दिल्ली की घेराबंदी करवा रहे हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (21-12-2020)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogBlog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071
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