महाराष्ट्र में अब शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार चलाना मुश्किल हो रहा है। मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को हटाने के मुद्दे पर एनसीपी और शिवसेना आमने-सामने। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक के मामले में एनआईए की जांच सरकार के लिए मुसीबत बनी।
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के मुख्य पत्र सामना में 19 मार्च को जो संपादकीय प्रकाशित हुआ है, वह गृहमंत्री अनिल देशमुख के बयान से एकदम अलग हैं। देशमुख सहयोगी दल एनसीपी के कोटे से गृहमंत्री हैं। सामना में कहा गया है कि परमबीर सिंह को पुलिस आयुक्त के पद से हटाने का मतलब यह नहीं है कि वे कोई आरोपी हैं। परमबीर ने आयुक्त के पद पर रहते हुए मुंबई पुलिस का मान बढ़ाया है। टीआरपी घोटाला, कंगना रनौत प्रकरण आदि में परमबीर ने निष्पक्ष जांच करवाई। यही वजह है कि दिल्ली में बैठे कुछ लोग नाराज हो गए। कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों में भी परमबीर ने मुंबई पुलिस को सक्रिय रखा। पुलिस के कई अधिकारियों और जवानों के संक्रमित होने के बाद भी पुलिस का हौसला बुलंद रखा। जहां एक ओर शिवसेना परमबीर को मुंबई का सफल आयुक्त मान रही है, वहीं गृहमंत्री अनिल देशमुख ने स्पष्ट कहा है कि परमबीर को पुलिस के आयुक्त पद से हटाना कोई सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है। परमबीर ने आयुक्त के पद पर रहते हुए ऐसी अनेक गलतियां की है जिन्हें क्षमा नहीं किया जा सकता। देशमुख के इस बयान से साफ जाहिर है कि परमबीर को विफलताओं की वजह से हटाया गया है। देशमुख एनसीपी के कोटे से मंत्री बने हैं। देशमुख के बयान और सामना में प्रकाशित संपादकीय से जाहिर है कि महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में दरार हो गई है और इस दरार की वजह से अब शिवसेना को सरकार चलाने में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट मिले विस्फोटक पदार्थ का है। इस मामले में मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर अनिल वाजे की जो भूमिका सामने आई है उससे प्रतीत होता है कि वाजे को शिवसेना के कुछ नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। इतना ही नहीं वाजे अपने कार्य की रिपोर्टिंग परमबीर को करते थे। ऐसे में माना जा रहा है कि परमबीर और वाजे के बीच अनेक मामलो को लेकर तालमेल रहा। एनआईए की जांच रिपोर्ट से यह पता चला है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो खड़ी करने और फिर स्कॉर्पियो के मालिक की मौत में सचिन वाजे की भूमिका रही है। शिवसेना की सहयोगी पार्टी एनसीपी का भी मानना है कि इससे मुंबई पुलिस की छवि खराब हुई है। परमबीर को हटाए जाने और फिर उन्हें होमगार्ड का डीजी बनाए जाने पर वरिष्ठ आईपीएस संजय पांडे भी नाराज हो गए हैं। होमगार्ड के डीजी के पद से पांडे को हटाकर ही परमबीर को नियुक्त किया गया है। पांडे का कहना है कि वे परमबीर से वरिष्ठ हैं। उनकी वरिष्ठता की अनदेखी कर उन्हें कारपोरेशन सुरक्षा का डीजी बनाया गया है। यानी अब महाराष्ट्र के पुलिस महकमे में भी खींचतान शुरू हो गई है। यह खींचतान तब हो रही है, जब मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर फैल रही है। देश में सर्वाधिक पॉजिटिव मरीज अब मुंबई और महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना की दूसरी लहर से मुकाबला करने की है। लेकिन सरकार अपने ही अंतर्विरोधों में उलझी हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (19-03-2021)
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