पश्चिम बंगाल की हिंसा पर चुप क्यों है अवार्ड वापसी गैंग? क्या अब देश में असहिष्णुता नजर नहीं आ रही? ममता बनर्जी को यह समझना चाहिए कि अभी पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है और हमारी सेना बंगाल को बचाने के किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार है। ममता के इशारे पर हिंसा-भाजपा।
5 मई को ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। चुनाव प्रचार के दौरान ममता ने एक समुदाय विशेष के लिए क्या बोला, इस पर मैं बात नहीं कर रहा, लेकिन यह सही है कि दो मई को विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से ही बंगाल में हिंसा का दौर शुरू हो गया है। जिन लोगों ने चुनाव के दौरान ममता का विरोध और भाजपा का समर्थन किया उन्हें चुन चुन कर मौत के घाट उतार दिया। महिलाओं को घर से बाहर निकाल कर दुर्व्यवहार किया गया। पिछले दो दिनों से बंगाल में भय और आतंक का माहौल है। यहां तक कहा जा रहा है कि आजाद भारत में चुनाव के बाद ऐसी हिंसा कभी नहीं देखी गई। सब जानते हैं कि कई बार छोटी छोटी घटना को लेकर प्रगतिशील लेखक, साहित्यकार, सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के जज और स्वयं को बुद्धिजीवी समझने वाले लोग संयुक्त बयान जारी कर नाराजगी जताते हैं। इन्हीं में कुछ लोग अपने अवार्ड भी वापस करने की धमकी देते हैं। ऐसा माहौल बनाया जाता है कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा के शासन में देश में असहिष्णुता है। लेकिन अब उस अवार्ड वापसी गैंग को बंगाल की हिंसा नजर नहीं आ रही है। आखिर स्वयं प्रगतिशील और बुद्धिजीवी समझने वाले लोग चुप क्यों हैं? अब कोई भी बुद्धिजीवी अपना अवार्ड वापस करने की पेशकश नहीं कर रहा। क्या अवार्ड वापसी गैंग की खामोशी हिंसा का समर्थन करती है? या फिर हिंसा को अलग अलग चश्मे से देखा जाता है। ममता बनर्जी भले ही तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बन गई हों, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि अभी बंगाल भारत का हिस्सा है, इसलिए धर्म और समुदाय के कारण किसी को मौत के घाट नहीं उतारा जा सकता है। पश्चिम बंगाल को भारत में बनाए रखने के लिए हमारी सेना किसी भी प्रकार की कुर्बानी दे सकती है। ऐसे हालात पूर्व में जम्मू कश्मीर में भी बने थे। तब 4 लाख हिन्दुओं को जम्मू कश्मीर से भगा दिया गया था। पश्चिम बंगाल में तो अनुच्छेद 370 जैसा कानून भी नहीं है। आज हम जम्मू कश्मीर के हालात देख रहे हैं। वहां पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है और आतंकी घट रहे हैं। लोकतंत्र में वोट का महत्व होता है। बंगाल के लोगों ने टीएमसी के उम्मीदवारों को जीताया है, इसलिए ममता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं। पश्चिम बंगाल में हर नागरिक की रक्षा हो इसका दायित्व ममता बनर्जी का ही है। बंगाल की हिंसा पर प्रधानमंत्री और राज्यपाल भी चिंता जता चुके हैं। तीसरी बार मुख्यमंत्री बन जाना ही ममता का भाजपा से सबसे बड़ा बदला लेना है।ममता के इशारे पर हिंसा:वहीं 5 मई को पश्चिम बंगाल के भाजपा के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि लुंगी गैंग ममता बनर्जी के इशारे पर हिंसा कर रही है। लोगों की दुकानों लूटा जा रहा है तो महिलाओं के साथ बदतमीजी हो रही है। बालात्कार जैसी घटनाओं में भी पुलिस रिपोर्ट नहीं लिख रही है। गैंग के लोग फरसे और घातक हथियार लेकर सरे आम घूम रहे हैं। यह पूरी तरह राजनीतिक हिंसा है, जिस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हार जीत होती रहती है। लेकिन जीत के बाद ऐसा उन्माद पहली बार बंगाल में देखा गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह भी समझना चाहिए कि पश्चिम बंगाल में एक सीमावर्ती प्रदेश है। ऐसे में बंगाल में कानून व्यवस्था कायम रहना बेहद जरूरी है। S.P.MITTAL BLOGGER (05-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511