तो पुराने कानून में ही मिल जाएगी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थियों को भारत की नागरिकता। गृह मंत्रालय ने आवेदन मांगे हैं। राजस्थान में रह रहे हजारों पाकिस्तानी विस्थापितों को नागरिकता देने की मांग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले भी कर चुके हैं। हाईकोर्ट ने भी वैक्सीन लगाने के मामले में दिए हैं निर्देश।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लाखों शरणार्थियों को भले ही संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के अंतर्गत भारत की नागरिकता नहीं मिली हो, लेकिन अब ऐसे शरणार्थियों को पुराने नागरिकता कानून के तहत ही नागरिकता मिल सकती है। इसके लिए केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अंतर्गत 1944 व 2009 में बने नागरिकता कानून में संबंधित लोगों को आवेदन करना होगा। राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर आदि में भी बड़ी संख्या में पाकिस्तान से आए शरणार्थी रह रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व में ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर के न्यायाधीश रामेश्वर व्यास और न्यायाधीश विजय विश्नोई ने भी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को कोरोना वैक्सीन लगाने के निर्देश दिए हैं। शरणार्थियों ने एक याचिका दायर कर कहा था कि भारत की नागरिकता नहीं होने के कारण उनका आधार कार्ड नहीं बना और आधार कार्ड के बगैर कोरोना की वैक्सीन भी नहीं लगाई जा रही है। नागरिकता नहीं मिलने के कारण ऐसे शरणार्थियों को केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है। पाकिस्तान से भाग कर आए ऐसे शरणार्थी राजस्थान के साथ साथ गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में भी बड़ी संख्या में रह रहे हैं। मालूम हो कि ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए ही गत वर्ष सीएए कानून बनाया गया, लेकिन इससे मुसलमानों को शामिल नहीं किया जाने को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने विरोध किया था। जबकि केन्द्र सरकार का कहना रहा कि यह कानून धर्म के आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों मुस्लिम देश हैं, इसलिए इन देशों में किसी मुसलमान को धर्म के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाएगा। जबकि इन देशों में हिन्दू, सिक्ख जैन ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता मिलनी चाहिए। लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते सीएए कानून के नियम ही नहीं बन पाए। इसलिए अब शरणार्थियों को पुराने कानून में ही नागरिकता देने की कार्यवाही शुरू की गई है। यह खबर लाखों शरणार्थियों के लिए राहत भरी है। S.P.MITTAL BLOGGER (29-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...