सौम्या गुर्जर की याचिका हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद राजस्थान भाजपा में राजनीतिक संकट संभव। क्या कांग्रेस द्वारा बनाई गई शील धाबाई भाजपा ग्रेटर जयपुर का मेयर स्वीकार करेगी।
28 जून को हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार के निलंबन आदेश को चुनौती दी गई थी। अलबत्ता जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस पीके सोनगरा ने 6 माह में न्यायिक जांच करवाने के आदेश सरकार को दिए हैं। याचिका में नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 को चुनौती दी गई थी। हालांकि याचिका खारिज होने से सौम्या को झटका है, लेकिन इसके साथ ही राजस्थान भाजपा में भी राजनीतिक संकट संभव है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने निगम के आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह की शिकायत पर सौम्या गुर्जर को मेयर के पद से निलंबित किया था। मेयर पर आरोप लगाया गया कि जब भाजपा के तीन पार्षद आयुक्त के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे, तब मेयर मूक दर्शक बनी रही। सौम्या गुर्जर को 6 जून को निलंबित किया गया था और दो दिन बाद ही कांग्रेस सरकार ने भाजपा की पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर मनोनित कर दिया। चूंकि जयपुर ग्रेटर नगर निगम के मेयर का पद ओबीसी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है, इसलिए सरकार ने ओबीसी वर्ग की भाजपा पार्षद को ही कार्यवाहक मेयर बनाया। नियमों के मुताबिक कार्यवाहक मेयर 60 दिन तक ही रह सकता है। सरकार चाहे तो एक बार ओर इस अवधि को बढ़ा सकती है। जानकार सूत्रों के अनुसार सरकार ने भले ही शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर मनोनित कर दिया हो, लेकिन भाजपा नेतृत्व शील धाबाई को स्वीकार नहीं करता है। यही वजह रही कि जब 8 जून को शील धाबाई ने मेयर पद की शपथ ली, तब भाजपा का कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था। भाजपा के सामने अब जयपुर ग्रेटर का नया मेयर चुनने का सवाल उठ खड़ा हुआ है। हालांकि 27 जून को ही शील धाबाई ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि शील धाबाई ने स्वयं को ही स्थाई मेयर बनाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पूनिया विवादों से बचते रहे हैं और वे किसी भी समस्या का समाधान सम्मानजनक तरीके से निकालने का प्रयास करते हैं। लेकिन अब पूनिया के सामने भी यह समस्या है कि आखिर मेयर किसे बनाया जाए। निगम में भाजपा को पूर्ण बहुमत है, लेकिन शील धाबाई को मेयर बनाए रखने में कांग्रेस की रुचि है। भाजपा में भी एक गुट ऐसा है जो शील धाबाई को ही मेयर बनाए रखना चाहता है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाने वाले जयपुर शहर के भाजपा विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी भी शील धाबाई के पक्ष में है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जब भाजपा पार्षद की बैठक में सौम्या गुर्जर के नाम पर मोहर लगी तब शील धाबाई ने भी अपना दावा प्रस्तुत किया था। भाजपा की इस खींचतान को देखते हुए ही कांग्रेस सरकार ने शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर मनोनीत किया। देखना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद उपजे राजनीतिक संकट से प्रदेश नेतृत्व कैसे निपटता है। S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829
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