राजस्थान में वसुंधरा राजे क्या जयललिता से सीख लेंगी। तमिलनाडु में शराबबंदी को लेकर प्रभावी पहल।
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राजस्थान में वसुंधरा राजे क्या जयललिता से सीख लेंगी।
तमिलनाडु में शराबबंदी को लेकर प्रभावी पहल।
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सुश्री जयललिता ने 23 मई को तमिलनाडु की सीएम पद की छठी बार शपथ ली। शपथ लेने के साथ ही जयललिता ने फ्री बिजली जैसी महत्त्वपूर्ण घोषणाएं तो की ही साथ ही शराबबंदी के लिए प्रभावी घोषणा भी की। कोई छह हजार शराब की दुकानों में से पांच सौ दुकानें बंद करने के आदेश भी जारी किए। इतना ही नहीं जो दुकानें प्रात: 10 बजे खुलती थी उन्हें दोपहर 12 बजे खोलने के आदेश भी दिए। असल में जयललिता एक महिला हैं,उन्हें पता है जिसपरिवार का पुरुष सदस्य शराब पीता है, उस परिवार की दशा कितनी खराब होती है। यदि पिता के साथ बेटा भी शराब पीने लग जाए तो उस बेटे की मां और बहन की पीड़ा असहनीय होती है। जयललिता ने मां और बहन की पीड़ा को समझा है, इसलिए शराब बंदी के लिए प्रभावी निर्णय लिया है। नि:संदेह जयललिता का निर्णय प्रशंसनीय है। अभी तो जयललिता पूरे पांच वर्ष शासन करेंगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पांच वर्ष में तमिलनाडु भी पूर्ण शराबबंदी वाला राज्य हो जाएगा। राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे भी महिला हैं। राजे महिलाओं की पीड़ा को भी अच्छी तरह समझती हैं, इसलिए भामाशाह योजना में परिवार का मुखिया महिला को बनाया है। राजे को चाहिए की राजस्थान में भी तमिलनाडु की तरह शराबंदी के लिए कार्यवाही की जाए। राजे इतना तो कर ही सकती हैं कि जिन शराब की दुकानों को लेकर क्षेत्रीय नागरिक विरोध कर रहे है, उन दुकानों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। समझ में नहीं आता कि शराब की दुकानें आबादी क्षेत्रों में खास स्थान पर ही क्यों खोली जाती है?
शर्मनाक बात तब होती है जब दुकान का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ ही पुलिस मुकदमे दर्ज करती है। जब महिलाओं को आधी आबादी माना जाता है तो फिर वसुंधरा राजे आधी आबादी की भावनाओं का ख्याल क्यों नहीं करती? राजस्थान की शायद ही कोई महिला होगी जो शराब की बिक्री के पक्ष में हो। धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजा पाठ करने वाली सीएम राजे भी एक महिला होने के नाते शराब की पक्षधर नहीं होगी। ये बात अलग है कि सरकार चलाने के लिए राजे को शराब से होने वाले राजस्व की जरुरत हो। इस राजस्व की जरुरत तो जयललिता को भी है। राजस्थान में तो राजे तमिलनाडु की तरह घरेलु उपभोक्ताओं को सौ यूनिट बिजली प्रतिमाह भी नहीं दे रही है। यदि जयललिता फ्री बिजली के देने के बाद भी शराब से होने वाले राजस्व का मोह छोड़ रही हैं तो फिर वसुंधरा राजे को भी सीख लेनी चाहिए। आज राजस्थान की इतनी बुरी दशा है कि शहरी क्षेत्रों में गली कूचों में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गांव-ढाणी में शराब की दुकानें/ ठेके खोल दिए गए हैं। राजे सरकार इस बात का ध्यान रखे हुए है कि शराबियों को आसानी से घर के आसपास ही शराब मिल जाए। जिन गांवों में सरकार के पेयजल की व्यवव्था नहीं है, उन गांवों में भी सरकार ने दारू का ठेका खोल रखा है। वसुंधरा सरकार का शराब प्रेम इसी से पता चलता है कि सर्वोदयी नेता गुरुशरण छाबड़ा शराबबंदी को लेकर आमरण अनशन के दौरान मर गए और सरकार को पता ही नहीं चला। यदि वसुंधरा सरकार शराब बंदी की पक्षधर होती तो कम से कम छाबड़ा को मरने तो नहीं देती। वसुंधरा राजे दूसरी बार सीएम बनी हंै, जबकि जयललिता छठी बार सीएम बनी हंै, यदि राजे को भी जयललिता की तरह बार-बार सीएम बनना है तो जयललिता की तरह जनहित के काम करने होंगे। राजे को यह तो पता ही होगा कि राजस्थान में प्रात: 9 बजे ही शराब की दुकानें खुल जाती है। क्या राजस्थान में दोपहर 12 बजे से दुकानें नहीं खुल सकती?
(एस.पी. मित्तल) (24-05-2016)
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