देश के 200 संसदीय क्षेत्रों में से राजस्थान का अजमेर का एक मात्र क्षेत्र जहां एक पोलिंग पार्टी ने मतदान के आवश्यक दस्तावेज ही खो दिए। अब नांदसी गांव के केंद्र पर 2 मई को पुर्नमतदान। क्या पोलिंग पार्टी के पांच कार्मिकों को निलंबित कर देने से इतना गंभीर मामला रफा दफा हो जाएगा? आखिर चार दिनों तक प्रकरण को क्यों छिपाए रखा?
लोकसभा चुनाव के अब तक दो चरण हुए हैं। 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 तथा 26 अप्रैल को द्वितीय चरण में 88 सीटों पर मतदान हुआ। द्वितीय चरण की 88 सीटों में राजस्थान का अजमेर संसदीय क्षेत्र भी शामिल रहा। 26 अप्रैल को मतदान हो जाने के बाद जिला निर्वाचन विभाग की ओर से दावा किया गया कि पूरे संसदीय क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान हो गया है। कहीं से भी गड़बड़ी की कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन 30 अप्रैल को अचानक जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. भारती दीक्षित की ओर से कहा गया कि अजमेर संसदीय क्षेत्र के मसूदा विधानसभा के नांदसी गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के मतदान केंद्र संख्या 195 पर 2 मई को पुनर्मतदान होगा। बताया गया कि 26 अप्रैल को जब पोलिंग पार्टी मतदान करवा कर लौट रही थी, तब मतदान से जुड़े आवश्यक दस्तावेज गुम हो गए। इसमें निर्वाचन विभाग द्वारा जारी रजिस्टर 17ए शामिल हैं। इस रजिस्टर में ही मतदान के दौरान मतदाता का मतदाता सूची क्रमांक, मतदाता का पहचान पत्र, हस्ताखर या अंगूठा आदि दर्ज होते हैं। पोलिंग पार्टी ईवीएम और वीवीपैट मशीन के साथ साथ रजिस्टर आदि दस्तावेज भी जमा करवाती है। अजमेर संसदीय क्षेत्र की मतगणना अजमेर स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज में होगी, इसलिए सभी दस्तावेज इसी कॉलेज में जमा किए गए। अब जब सच्चाई सामने आई है तो पता चला कि मतदान केंद्र संख्या 195 के दस्तावेज 26 अप्रैल की रात को जमा नहीं हुए। सवाल उठता है कि आखिर इतने गंभीर मामले को चार दिनों तक क्यों छुपा रखा? इस बीच निर्वाचन अधिकारी ने विस्तृत रिपोर्ट राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजी और मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने देश के चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी। इसमें आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भी शामिल रही। अब चुनाव आयोग के निर्देश पर ही 2 मई को पुनर्मतदान करवाया जा रहा है।
पांच कार्मिक ही जिम्मेदार?:
आवश्यक दस्तावेज खो देने के मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी ने पोलिंग पार्टी के पीआरओ राम किशोर, पीओ प्रथम विश्वेंद्र बैरवा, पीओ द्वितीय राजेंद्र सिंह तथा पीओ तृतीय गोपाल व ब्रदी को निलंबित कर दिया है। सवाल उठता है कि इन पांच कार्मिकों को निलंबित कर दिए जाने से इतना गंभीर मामला रफा दफा हो जाएगा? मतदान केंद्र की निगरानी के लिए कई स्तरों पर अधिकारी नियुक्त होते हैं। पोलिंग पार्टियां हर छोटी छोटी घटनाओं की जानकारियां मोबाइल पर उच्च अधिकारियों को भेजती है। मतदान के आवश्यक दस्तावेज गुम होने के लिए कई बड़े अधिकारी भी जिम्मेदार हैं, जिनमें आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक भी शामिल हैं। सवाल यह भी है कि जब इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बल मौजूद रहे, तब मतदान के बाद दस्तावेज कैसे गायब हो गए। आखिर पोलिंग पार्टी के साथ चल रहे सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे? इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि पोलिंग पार्टी के दस्तावेज गुम हो जाने की जानकारी सबसे पहले किस अधिकारी को हुई? क्या जानकारी होने के बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई? क्या इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने कोई जांच कमेटी बनाई है? चूंकि देश के 200 संसदीय क्षेत्रों में से सिर्फ अजमेर में ही इतनी गंभीर घटना हुई है। इसलिए भारत के चुनाव आयोग को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
मतदाताओं को होगी परेशानी:
मसूदा के नांदसी के मतदान केंद्र संख्या 195 पर 750 मतदाता दर्ज है। पुनर्मतदान होने से मतदाताओं को परेशानी होगी। सवाल उठता है कि मतदाताओं को होने वाली परेशानी का जिम्मेदार कौन होगा?
S.P.MITTAL BLOGGER (01-05-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511