नेहरू से ज्यादा डॉ. मनमोहन सिंह का रहा विदेशी संसद में संबोधन। लेकिन कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के बराबर है नरेंद्र मोदी का संबोधन। मोदी को 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिलना भी रिकॉर्ड है।

किसी भी देश के प्रधानमंत्री का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व और सम्मान का आकलन विदेशी संसद में संबोधन भी होता है। आजादी के बाद के आंकड़े बताते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में तीन बार विदेश की संसद में भाषण दिया, लेकिन वहीं दस वर्ष प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने विदेशों में  7 बार संसद को संबोधित किया। कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 4, राजीव गांधी ने 3, पीवी नरसिम्हा राव ने एक बार विदेशी संसद को संबोधित किया। इन सभी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने कुल मिलाकर 17 बार विदेशी संसद में भाषण दिया] लेकिन वही मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 11 वर्ष के कार्यकाल में अब तक 17 बार विदेशी संसद में भाषण दे दिया है। यानी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों और अकेले नरेंद्र मोदी के संबोधन की संख्या बराबर है। कांग्रेस प्रधानमंत्रियों का रिकॉर्ड इसलिए पीछे रह सकता है, क्योंकि नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में भी भारत के प्रधानमंत्री रहेंगे और विदेशी संसद में भाषण देने का अभियान जारी रहेगा। 11 वर्षों में 17 देशों की संसद में संबोधन बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी का कितना महत्व है ।यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी प्रधानमंत्री की दुनिया भर में लोकप्रियता हो। नरेंद्र मोदी ने विदेश की धरती पर संबंधित देश का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करने में भी रिकॉर्ड बनाया है। मोदी को दुनिया के 27 देशों ने अपना सर्वोच्च सम्मान देकर सम्मानित किया है। इनमें मुस्लिम देश भी शामिल है। 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिलना भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को दर्शाता है। भारत में भी मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है इसलिए मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। 

S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025)
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