वेदों की शिक्षाओं से ही भारत को बचाया जा सकता है। वेद विद्वान आचार्य गोविंद गिरी ने वर्तमान हालातों पर चिंता जताई।
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देशभर में कोई 50 से भी ज्यादा वेद विद्यापीठों की स्थापना करने वाले सुविख्यात संत आचार्य गोविंद गिरी महाराज ने कहा कि वेदों की शिक्षाओं से ही भारत को बचाया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि देश के नागरिक वेदों की शिक्षाओं पर अमल नहीं कर रहे हैं। पुष्कर स्थित ब्रह्मा सावित्री वेद विद्यापीठ के तीन दिवसीय वार्षिक समारोह में भाग लेने आए आचार्य गोविंद गिरी से 24 फरवरी को देश के वर्तमान हालातों पर मैंने सीधा संवाद किया। आचार्य ने माना कि पहले आक्रमणकारियों और फिर अंग्रेजों की गुलामी की वजह से हमारे वेदों, शास्त्रों को भारी नुकसान हुआ। आजादी के बाद देश में जो सरकारें आई, उन्होंने भी वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए कुछ नहीं किया। यही वजह है कि आज हमारी युवा पीढ़ी अपनी सनातन संस्कृति को भूलती जा रही है। हालात इतने खराब है कि हवन यज्ञ करने वाले विद्वान नहीं मिल रहे हैं। इन हालातों को देखते हुए ही देश भर में 50 से भी ज्यादा स्थानों पर वेद विद्यापीठों की शुरूआत की गई है। जिस प्रकार पुष्कर तीर्थ में विद्यापीठ है। उसी तरह कश्मीर में भी एक पीठ की स्थापना की गई है। हजारों युवा इन विद्यापीठों में वेदों को सीखने और समझने का काम कर रहे हैं। विद्यापीठ की पढ़ाई युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवाती है। वेदों के विद्वानों की मांग अमेरिका जैसे विकसित देश में भी है। अमेरिका के विद्वान भी अब वेदों का अध्ययन कर रहे हैं। गोविंद गिरी महाराज ने देश के वर्तमान हालातों पर चिंता जताते हुए कहा कि आज वेदों की शिक्षाओं से ही भारत को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में सूफीवाद को आगे रखकर हिन्दू और मुसलमानों में भाईचारे की बात कही गई। लेकिन पिछले दिनों पाकिस्तान ने सूफी संत अली शाबाज कलंदर की दरगाह में जिस तरह से आतंकी हमला हुआ, उससे यह जाहिर होता है कि मुस्लिम सम्प्रदाय में एक ऐसा वर्ग है जो सूफी संतों की दरगाहों और शिक्षाओं को नहीं मानता है। उन्होंने कहा कि जिस विचारधारा के मुसलमानों ने पाकिस्तान की दरगाह में विस्फोट किया, उस विचारधारा के लोग भारत में तेजी से पैर पसार रहे हैं। ऐसे में सभी धर्मगुरुओं को आगे आकर आतंक का मुकाबला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे वेद ऐसी शिक्षा देते हैं जिससे सभी धर्मों के लोग एकसाथ सकून के साथ रह सकते हैं। वेदों में जीवन जीने की शिक्षा एक समान है। जबकि अन्य धर्मों में अपने-अपने नजरिए से जीवन जीने की जानकारी दी है। देश में आज एकता, अखंडता और राष्ट्रीयता की भावना को बल मिलना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (26-02-17)
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