मंत्री देवनानी के लिए ब्राह्मणों ने किया सद्बुद्धि यज्ञ। पुष्कर में हुई फरसे की पूजा । =================
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29 अप्रैल को ब्राह्मण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने तीर्थ गुरु पुष्कर में राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया। साथ ही पुष्कर सरोवर पर भगवान परशुराम के फरसे की पूजा की। ब्राह्मणों के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने के विरोध में ब्राह्मण समुदाय देवनानी के खिलाफ पिछले कई दिनों से आंदोलनरत है। इसी क्रम में 29 अप्रैल को संघर्ष समिति के योगेंद्र ओझा, सुदामा शर्मा, राजीव शर्मा, विवेक पाराशर आदि के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ब्राह्मण समुदाय के लोग पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर पर एकत्रित हुए। मंदिर पर ही पदाधिकारियों ने घोषणा की कि जब तक देवनानी ब्राह्मण समुदाय से माफी नहीं मांगेंगे, तब तक विरोध जारी रहेगा। देवनानी की अपमानजनक टिप्पणी से ब्राह्मण समुदाय में भारी रोष व्याप्त है। पदाधिकारियों ने पवित्र सरोवर के घाट पर दुग्धाभिषेक भी किया। इस अवसर पर देवनानी के लिए सद्बुद्धि यज्ञ भी किया गया। ब्राह्मणों ने भगवान परशुराम के फरसे की पूजा कर प्रार्थना की कि देवनानी को जल्द से जल्द सद्बुद्धि आ जाए और वह माफी मांग लें। इस अवसर पर पूर्व मुख्य सचेतक और कांग्रेस के नेता रघु शर्मा भी उपस्थित थे। शर्मा ने भी कहा कि यदि देवनानी ने माफी नहीं मांगी तो प्रदेश भर में ब्राह्मण समुदाय की ओर से विरोध किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जयपुर के एक समारोह में देवनानी ने कहा था कि जब ब्राह्मण समाज के लोग अपने नाम से पहले पंडित शब्द लगाते हैं तो कोई एतराज नहीं होता और मैंने एक शिक्षाविद् होने के नाते अपने नाम से पहले प्रोफेसर लगा लिया है तो विवाद किया जा रहा है । जबकि पंडित शब्द का अर्थ विद्वता से होता है। ब्राह्मणों का कहना है कि देवनानी ने पंडितों की विद्वता को चुनौती दी है।
फूट डालने वालों को सिखाएंगे सबक:
एडवोकेट योगेन्द्र ओझा ने कहा कि समाज में फुट डालने की कुचेष्ठा करने वालों को समाज धरातल दिखा देगा। सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की कि समाज का अनादर करने वालों को जड़ से उखाड़ फेंके। उन्होंने कहा कि देवनानी ने जो राजनीतिक चाल चलने का प्रयास किया है, वह बचकाना है। पाठ्यक्रम को तय करना माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कमेटी द्वारा होता है, क्या जोडऩा है और क्या हटाना है। यह निर्णय कमेटी करती है, इसमे मंत्री की कोई भूमिका नहीं होती है। अत: उनकी यह घोषणा एक राजनीतिक जुमला है, इससे अधिक कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि क्या देवनानी को भगवान परशुराम की जयंती पर ही याद आनी थी?
(एस.पी.मित्तल) (29-04-17)
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