1947 में जब भारत विभाजित हुआ तो धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के भी दो टुकड़े हो गए। एक भारत का कश्मीर और दूसरा पाकिस्तान का कश्मीर। भारत तो अपने कश्मीर को अभिन्न अंग मानता है, जबकि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर को स्वतंत्र बताता है। यह बात अलग है कि इस स्वतंत्र कश्मीर पर पाकिस्तान का पूरी तरह नियंत्रण है और अब तो इस कश्मीर पर पाकिस्तान ने चीन को लाकर बैठा दिया है। पाकिस्तान जो गतिविधियों कर रहा है उससे स्वतंत्र कश्मीर के नागरिक बेहद गुस्से में हैं।
13 अप्रैल को भी स्वतंत्र कश्मीर के सैकड़ों नागरिकों ने प्रदर्शन किया। ये लोग पाकिस्तान की पुलिस पर ज्यादती के आरोप लगा रहे हैं। स्वतंत्र कश्मीर में रहने वाले मुसलामनों का कहना है कि भारत में जिस तरह आम मुसलमान खुश हंै, उसी तरह हम लोग भी रहना चाहते हैं। स्वतंत्र कश्मीर के मुसलमान जिस तरह से भारत की प्रशंसा कर रहे हैं,उससे यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर को भारत को दे देगा? यह सवाल इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि हमारे कश्मीर में अलगाववादी भारत के खिलाफ है। यहां पर खुलेआम पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जाते हैं। हमारे कश्मीर में रहने वाले मुसलमानों को पाकिस्तान के कब्जे वाले मुसलमानों की परेशानियों को समझना चाहिए। केन्द्र सरकार जिस प्रकार कश्मीर में रियायती दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाती है,वैसी एक भी सुविधा पाकिस्तान के कश्मीर के लोगों को नहीं मिलती। कश्मीर के अलगाववादियों को पाकिस्तान के बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में पाकिस्तान की सेना के जुल्मों को भी देखना चाहिए। जिस तरह इन दोनों प्रांतों में मुसलमानों का कत्ले आम किया जाता है, वह मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। अच्छा हो कि कश्मीर के अलगाववादी नेता एक बार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, बलूचिस्तान व सिंध प्रांत का दौरा कर मुसलमनों की स्थिति का जायजा ले लें। अलगाववादियों को यह पता चल जाएगा कि पाकिस्तान के मुकाबले में मुसलमान कश्मीर और भारत के दूसरे हिस्सों में कितने सम्मान के साथ रह रहा है। सरकारी नौकरियों से लेकर राजनीतिक क्षेत्रों में बड़े पदों पर मुस्लिम जनप्रतिनिधि बैठे हैं। देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी हैं, वहीं पाकिस्तान में हिन्दुओं का रहना दुष्कर है। पाकिस्तान में जब मुलसमानों को ही कत्लेआम किया जा रहा है, तो फिर हिन्दुओं के रहने का तो सवाल ही नहीं उठता। इसे भारत की धर्मनिरपेक्षता ही कहा जाएगा कि यहां मुसलमान बराबर के अधिकार के साथ रहते हैं,बल्कि अपने धर्म के अनुरूप आचरण भी करते हैं।