अंबानी की शादी की भव्यता का प्रदर्शन क्यों?
क्या यह गरीबों का मजाक उड़ाना नहीं है।
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इन दिनों अखबारों और न्यूज चैनलों पर भारत के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी की बेटी ईशा के विवाह की खबरें प्रमुखता के साथ परोसी जा रही है। मुकेश अंबानी अपनी बेटी का विवाह किस शान-ओ-शौकत से करते हैं यह उन पर निर्भर है, लेकिन सवाल उठता है कि जिस देश में अधिकांश लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है उस देश में एक शादी की भव्यता का प्रदर्शन कितना जरूरी है? जब सात समुंदर पार अमरीका से हिलेरी क्लिंटन आ सकती है तो शाहरुख खान और अमीर खान जैसे सितारों का डांस कोई मायने नहीं रखता। राजस्थान के उदयपुर के महल में 8 से 10 दिसम्बर तक होने वाला कार्यक्रम शादी का नहीं बल्कि शादी से पहले का भव्य कार्यक्रम रहा। शादी तो 12 दिसम्बर को मुम्बई में होगी। तब पता चलेगा कि शादी कैसी हुई है। जब प्री वेडिंग सेरेमनी इतनी भव्य है तो शादी की भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है। मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अम्बानी ने 9 दिसम्बर की रात को जिस स्टेज पर डांस किया, उस स्टेज के खर्चे में एक हजार से भी ज्यादा गरीब लड़कियों का विवाह हो सकता था। सामान्य परिवार का एक पिता अपनी बेटी का विवाह किन मुसीबतों से करता है, इसका अहसास शायद मुकेश अंबानी को नहीं होगा, यदि होता तो वे अपनी बेटी की शादी की भव्यता का प्रदर्शन नहीं करवाते। जो परिवार गली कूचों में स्टेज लगाकर संगीत के कार्यक्रम करते हैं उनकी पीड़ा को कौन समझेगा? क्या अंबानी परिवार की ऐसी भव्यता समाज में बेवजह ईष्र्या और प्रतिस्पर्धा का कारण नहीं बनेगी? यह माना कि अंबानी देश का सबसे रईस परिवार है। लेकिन यह कमाई भी तो भारत के नागरिकों से ही की गई है। यानि हमारे ही लोगों से जो पैसा कमाया उसी से भव्यता दिखाई जा रही है। अच्छा होता कि अंबानी अपनी बेटी का विवाह साधारण तरीके से करके देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत करते। एक तरफ कुछ सामाजिक कार्य कर नीता-मुकेश समाज सेवी भी दर्शाते हैं तो दूसरी तरफ शादी का इस तरह भव्य प्रदर्शन करते हैं। आखिर यह भव्यता किसे दिखाई जा रही है? भारत का हर नागरिक जानता है कि अंबानी रईस हैं। अंबानी के मालदार होने पर किसी को कोई संदेह नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि शादी ब्याह के मौके पर भव्यता का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। लेकिन जाहिर है कि पीएम की इस अपील का मुकेश अंबानी पर भी कोई असर नहीं हुआ है। अच्छा होता कि अंबानी अपनी बेटी के विवाह के साथ-साथ रिलायंस समूह के परिवार की लड़कियों के विवाह भी करते। ऐसा नहीं कि लोग शादी के मौके पर खर्चा नहीं करते, लेकिन भव्यता का प्रदर्शन नहीं होता है। मुकेश अंबानी तो शादी की भव्यता का जिस तरह प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि वे स्वयं को देश का सबसे बड़ा धनाढ्य परिवार साबित करना चाहते हैं।