मुस्लिम देशों के सम्मेलन में पाकिस्तान नहीं, भारत रहा मौजूद।
भारत के मुसलमान बदलते माहौल को समझें।
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1 मार्च को इसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की बड़ी जीत कहा जाएगा कि इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सम्मेलन में पाकिस्तान मौजूद नहीं रहा। ओआईसी ने दो दिवसीय सम्मेलन में भारत को विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया। इसी से नाराज होकर पाकिस्तान ने सम्मेलन का बहिष्कार किया। आजादी के बाद यह पहला अवसर रहा कि जब मुस्लिम देशों के सम्मेलन में मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान नहीं था और भारत ने प्रभावी उपस्थिति दर्ज करवाई। सम्मेलन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने क्या कहा, यह तो बाद में लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक मार्च को संसद में कहा कि भारत को रोकने के लिए हमने भरपुर प्रयास किया। ओआईसी को तीन पत्र लिखे और 28 मार्च को भी चेतावनी दी। लेकिन हमारी बातों का ओआईसी पर कोई असर नहीं पड़ा। मालूम हो कि पाकिस्तान हर बार मुस्लिम देशों के सम्मेलन में कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत की आलोचना करता था। पाकिस्तान का यही रोना होता था कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। चूंकि सम्मेलन में भारत की उपस्थिति नहीं होती थी, इसलिए पाकिस्तान को झूठ परोसने का पूरा अवसर मिलता था, लेकिन एक मार्च को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के चेहरे से नकाब उतार दी। सुषमा ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी धर्म से नहीं, बल्कि आतंक से है। स्वयं इस्लाम में शांति की बात सिखाई जाती है। भारत विश्व में शांति के लिए मुस्लिम देशों के संगठन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। साउदी अरब से तो हमारे संबंध पुराने हैं। सुषमा ने जिस अंदाज में भारत का पक्ष रखा उसकी सभी मुस्लिम देशों ने प्रशंसा की। मुस्लिम देशों का यह सम्मेलन साउदी अरब की राजधानी आबू धाबी में हो रहा हैं और भारत की उपस्थिति में प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ओआईसी ने इस बात की भी परवाह नहीं की कि पाकिस्तान बहिष्कार कर रहा है। जाहिर है कि मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान के मुकाबले भारत को तरजीह दी है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बदले माहौल को अब भारत के मुसलमानों को भी समझना चाहिए। साउदी अरब जैसे तरक्की पसंद देश भी चाहते हैं कि दुनिया में शांति हो। धर्म के नाम पर आतंक न हो। सब जानते है कि भारत में मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं हैं, जो अधिकार हिन्दुओं को हैं वो ही मुसलमानों को भी। राजनीति और प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर मुसलमान कार्यरत हैं। ऐसे में किसी भी स्थिति में मुसलमानों को कमजोर नहीं समझा जाए। यह बात दुनिया का मुसलमान समझ गया है। यदि पाकिस्तान के आरोपों में दम होता तो ओआईसी के सम्मेलन में भारत को कभी भी नहीं बुलाया जाता। भारत की तरक्की तभी संभव है, जब शांति बनी रहे।