अजमेर के भाजपाई मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का निलम्बन चुनाव तक टला।
जवाब से संतुष्ट नहीं है कांग्रेस की सरकार।
आईएएस खेमे में नाराजगी और बढ़ी।
गहलोत हाईकोर्ट की शरण में।
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अजमेर के भाजपाई मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का निलम्बन अब लोकसभा चुनाव तक टल गया है। हालांकि अजमेर में 29 अप्रैल को मतदान हो जाएगा, लेकिन माना जा रहा है कि निलम्बन की कार्यवाही 23 मई को मतगणना के बाद की जाएगी। असल में चुनाव के मौके पर राज्य की कांग्रेस सरकार कोई बखेड़ा नहीं करना चाहती। वैसे भी चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी है। मेयर पद पर बैठे व्यक्ति को निलम्बित करने जैसा बड़ा फैसला संभव नहीं है। जानकारों की माने तो गहलोत को फिलहाल राहत मिल गई है। इस बीच गहलोत को लेकर आईएएस खेमे में नाराजगी और बढ़ी है। गहलोत ने जिस प्रकार आईएएस हिमांशु गुप्ता के कथित स्वीमिंग पूल का मामला मीडिया में उछलवाया उससे आईएएस खेमा नाराज है। गुप्ता जब निगम के आयुक्त थे, तब सरकारी बंगले में स्वीमिंग पूल का निर्माण करवाया बताया। मेयर गहलोत ने इस मामले की जांच की बात कही है। दरअसल गहलोत पर निलम्बन की जो तलवार लटकी है, वह गुप्ता द्वारा प्रकाश में लाए गए मामले ही हैं। गुप्ता का कहना रहा कि गहलोत ने 13 काॅमर्शियल भवनों के नक्शे उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता से स्वीकृत करवा लिए। जबकि रलावता को नक्शे स्वीकृत करने का अधिकार नहीं था। सरकार ने जो जांच करवाई उसमें भी नक्शों की स्वीकृति नियम विरुद्ध मानी गई। इस जांच के बाद ही मेयर को नोटिस दिया गया। यह नोटिस नगर पालिका अधिनियम की उन धाराओं में दिया गया, जिनमें गहलोत का निलम्बन हो सकता है। हालांकि गहलोत ने आरोपों का जवाब दे दिया है। लेकिन सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जवाब संतोषजनक नहीं है। मेयर ने स्वयं को बचाते हुए संबंधित अधिकारियों पर जिम्मेदारी डाली है। जबकि 13 काॅमर्शियल नक्शों की स्वीकृति की फाइलें दर्शाती हैं कि मेयर का दखल बराबर बना रहा। हालांकि अभी मेयर के जवाब का परीक्षण होना बताया जा रहा है, लेकिन सब जानते हैं कि गहलोत को निलम्बित करने का मन कांग्रेस सरकार बना चुकी है। गहलोत के निलम्बन में आईएएस खेमा भी सक्रिय हैं। मेयर द्वारा पिछले दिनों अजमेर के कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा को नोटिस देना भी भारी पड रहा है। सूत्रों की माने तो सीएमओ में तैनात आईएएस आरती डोगरा की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। डोगरा विधानसभा चुनाव के समय अजमेर की कलेक्टर थीं, तब भी गहलोत और डोगरा में टकराव हो गया था। नगर निगम की मौजूदा आयुक्त चिन्मय गोपाल से भी मेयर के संबंध बिगड़े हुए हैं। भाजपा के शासन में मेयर का व्यवहार चल गया, लेकिन अब कांग्रेस के शासन में मेयर को अपना व्यवहार भारी पड़ रहा है। यह बात अलग है कि नगर निगम का कोई भी कांग्रेसी पार्षद मेयर के खिलाफ नहीं है। इसे मेयर गहलोत की राजनीतिक कुशलता ही कहा जाएगा कि मुसीबत के इस दौर में कांग्रेस के पार्षद साथ खड़े हैं। शहर कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन भी मेयर गहलोत का निलम्बन चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस के पार्षदों की बैठक बुलाने की हिम्मत विजय जैन की भी नहीं हो रही है।
हाईकोर्ट की शरण मेंः
निलंबन से बचने के लिए मेयर धर्मेन्द्र गहलोत हाईकोर्ट पहुंच गए है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में गहलोत ने आरोप लगाया कि सरकार ने राजनीतिक द्वेषता की वजह से नोटिस दिया है। गहलोत ने याचिका में मांग की कि सरकार की संभावित निलंबन की कार्यवाही पर रोक लगाई जावे। गहलोत की ओर से एडवोकेट एसएस होरा पैरवी कर रहे हैं।