तो सीबीएसई के मुकाबले में राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थी पिछड़ जाएंगे।

तो सीबीएसई के मुकाबले में राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थी पिछड़ जाएंगे।
सीबीएसई ने दसवीं का परिणाम भी जारी किया। 
राजस्थान बोर्ड के 12वीं के परिणाम का भी पता नहीं।
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6 मई को केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दसवीं की परीक्षा का परिणाम भी घोषित कर दिया। 12वीं का परिणाम पहले ही 2 मई को घोषित किया जा चुका है। यानि जिन विद्यार्थियों ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से परीक्षा दी वे अब प्रतियोगी परीक्षाओं और उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गए हैं। ऐसे विद्यार्थियों ने अपनी प्लानिंग भी शुरू कर दी है। जबकि जिन विद्यार्थियों ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा दी उन्हें अभी परिणाम का इंतजार है। सीबीएासई ने जहां दसवीं का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया है, वहां राजस्थान बोर्ड के 12वीं के परीक्षा परिणाम का भी पता नहीं है। जानकारों की माने तो शिक्षा बोर्ड 20 मई से पहले परिणाम निकालने की स्थिति में नहीं है। इससे राजस्थान बोर्ड और सीबीएसई के विद्यार्थी की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल उठता है कि इस बार केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा लेने और परिणाम जारी करने की जो तैयारी की वैसे तैयारी क्या राजस्थान बोर्ड नहीं कर सकता है? अब जब  सीबीएसई अपने विद्यार्थियों को तेज गति से आगे ले जा रहा है, तो फिर राजस्थान बोर्ड अपने विद्यार्थियों को पीछे क्यों रखना चाहता है। सब जानते हैं कि राजस्थान बोर्ड की पहचान देश के चुनिंदा बोर्डों में से है। विश्वसनीयता की दृष्टि से भी राजस्थान बोर्ड आगे हैं। ऐसे में परीक्षा और परिणाम में पीछे रहने पर विद्यार्थी मायूस होता है। शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों के पास परिणाम विलम्ब के अनेक बहाने होंगे, लेकिन इन बहानों से विद्यार्थी का कोई संबंध नहीं है। विद्यार्थी तो यही चाहता है कि जब केन्द्रीय बोर्ड ने परिणाम घोषित कर दिया है तो फिर राजस्थान बोर्ड को भी करना चाहिए। अब यदि केन्द्रीय बोर्ड ने राजस्थान बोर्ड के मुकाबले में परीक्षा जल्दी आयोजित की है तो राजस्थान बोर्ड को भी सबक लेना चाहिए।
केन्द्रीयकृत मूल्यांकन:
सीबीएसई और राजस्थान बोर्ड की तैयारियों में सबसे बड़ा अंतर उत्तर पुस्तिकाओं का केन्द्रीयकृत मूल्यांकन का है। सीबीएसई अपने क्षेत्रीय कार्यालयोंं में उत्तर पुस्तिकाओं का केन्द्रीय मूल्यांकन करवाता है, जबकि राजस्थान बोर्ड अभी भी पुराने ढर्रे पर काम कर रहा है।  परीक्षा के बाद प्रदेशभर के केन्द्रों से उत्तर पुस्तिकाओं को अजमेर स्थित मुख्यालय पर मंगाया जाता है और फिर कोडिंग कर उत्तर पुस्तिकाओं को शिक्षकों के पास भेजा जाता है। ऐसे में समय काफी लगता है। केन्द्रीयकृत जांच की मांग पहले भी होती रही है।  लेकिन बोर्ड और राज्य सरकार के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से केन्द्रीय मूल्यांकन प्रणाली को लागू नहीं किया जा सका है। राजस्थान बोर्ड में इस बार दसवीं और 12वीं के विद्यार्थियों की संख्या बीस लाख से भी ज्यादा की है। बीस लाख विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की संख्या कोई सवा करोड़ मानी जा रही है। बोर्ड का कहना है कि सवा करोड़ उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में समय तो लगता ही है। जानकारों की मांगे तो शिक्षक के घर पर उत्तर पुस्तिकाएं जांचने का खामियाज होशियर विद्यार्थियों को उठाना पड़ता है। ऐसी शिकायत आती हैं कि शिक्षक की पत्नी या परिवार के अन्य सदस्य ने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की है। जबकि केन्द्रीय मूल्यांकन में संबंधित शिक्षक को ही केन्द्र पर आकर उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करनी होती है।
एस.पी.मित्तल) (06-05-19)
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