मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आने से पहले ही अजमेर में भाजपा की करारी राजनीतिक हार। पंचायतीराज के तीनों उप चुनावों में सत्ता का घमंड चूर।
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मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आने से पहले ही अजमेर में भाजपा की करारी राजनीतिक हार। पंचायतीराज के तीनों उप चुनावों में सत्ता का घमंड चूर।
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7 अगस्त को अजमेर जिला परिषद के एक वार्ड और पीसांगन तथा सिलोरा पंचायत समिति के भी एक-एक वार्ड के उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए। इन तीनों चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है। यानि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अजमेर आने से पहले ही सत्तारुढ़ पार्टी के नेताओं का घमंड चूर-चूर हो गया। इस बार स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह अजमेर में ही होना है। इसलिए मुख्यमंत्री अपने पूरे मंत्रिमंडल और सरकारी अमले के साथ तीन दिनों तक अजमेर जिले में प्रवास करेंगी। मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, लेकिन पंचायतीराज के तीन उपचुनावों के नतीजों ने बता दिया है कि माहौल भाजपा के खिलाफ है। भाजपा को सबसे ज्यादा शर्मसार जिला परिषद के वार्ड संख्या 5 के नतीजों से होना पड़ा है। गत चुनाव के इस वार्ड से कांग्रेस की उम्मीदवार 1200 मतों से जीती थी, लेकिन इस बार भाजपा की उम्मीदवार 2600 सौ मतों से पराजित हुई है। इस वार्ड में 32 हजार मतदाताओं में से मात्र 10 हजार 921 ने मतदान किया, जबकि इस वार्ड की बिठूर ग्राम पंचायत में लगे न्याय आपके द्वारा शिविर का मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अचानक भाग लिया था। आज भी सरकारी विज्ञापनों और प्रचार माध्यमों से मुख्यमंत्री का उल्लेख किया जाता है।
मजबूत स्थिति के बाद हार:
इस समय अजमेर जिले में भाजपा मजबूत स्थिति में खड़ी है। 8 में से 7 विधायक भाजपा के हैं और इनमें से दो राज्यमंत्री और एक संसदीय सचिव है। जिला प्रमुख से लेकर स्थानीय निकाय तक में भाजपा का कब्जा है, लेकिन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि सत्ता की मलाई चाटने वाले इन नेताओं ने उपचुनाव में अपनी पार्टी के लिए कोई मेहनत नहीं की। पीसांगन और सिलोरा पंचायत समिति पुष्कर व किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में आती हैं। मतदाताओं ने पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत और किशनगढ़ के विधायक भागीरथ चौधरी के घमंड को भी चूर-चूर कर दिया। इन दोनों वार्ड में विधायकों की सिफारिश से ही भाजपा के उम्मीदवार बनाए गए थे। जहां तक जिला प्रमुख वंदना नोगिया की भूमिका का सवाल है तो राजनीतिक दृष्टि से नोगिया की भूमिका जीरो साबित हुई है। भाजपा सांसद सांवरलाल जाट को केन्द्रीय मंत्री मंडल से हटाए जाने से समर्थक पहले ही नाराज है। भाजपा के देहत जिला अध्यक्ष प्रो. बी.पी.सारस्वत ने जो भी प्रयोग किए,वे सब फेल हो गए। अब भाजपा नेताओं को यह बताना होगा कि चुनावों में इतनी बुरी हार क्यों हुई है।
पायलट और राठौड़ की बल्ले-बल्ले:
कांग्रेस के देहात जिला अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने तीनों चुनावों में कांग्रेस की जीत दर्ज करवाकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को खुश कर दिया है। अजमेर पायलट का चुनाव क्षेत्र है। ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत राजनीतिक दृष्टि से पायलट के लिए मायने रखती है। इस में कोई दो राय नहीं कि इस बार देहात अध्यक्ष राठौड़ ने उम्मीदवारों का चयन सोच समझ कर किया। पीसांगन पंचायत समिति के वार्ड 26 में जहां पहले कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था, वहीं इस बार कांग्रेस की जीत हुई है। हालांकि इस जीत में पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर और उनके पति इंसाफ अली का सहयोग रहा है। इस प्रकार सिलोरा के वार्ड 7 की जीत में पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया का सहयोग भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। फिलहाल देहात अध्यक्ष राठौड़ ने अपनी राजनीतिक दक्षता साबित कर दी है। देहात का अध्यक्ष बनने के बाद राठौड़ का यह पहला चुनावी घमासान था।
ऐसी है शर्मनाक हार:
पीसांगन पंचायत समिति के जिस वार्ड में उपचुनाव हुए,उसमें गत बार कांग्रेस का उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा। तब कांग्रेस का उम्मीदवार निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 900 मतों से हरा, लेकिन इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार लक्ष्मण गेना ने भाजपा के उम्मीदवार बलराम गेना को 711 मतों से हरा दिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस किस प्रकार आगे बढ़ रही है। इस वार्ड में शहरी सीमा से लगे हटूंडी और तबीजी गांव आते हैं। तबीजी क्षेत्र की तो जिला प्रमुख वंदना नोगिया ही हैं। इस प्रकार सिलोरा पंचायत समिति के वार्ड में गत देा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। टिकावड़ा व काड़ा ग्राम पंचायतों के इस वार्ड में कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती सुशीला चौधरी 251 मतों से विजय हुई हंै। श्रीमती चौधरी के पति विश्राम चौधरी गत सात बार से किशनगढ़ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। इस प्रकार जिला परिषद वार्ड 5 में 2600 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार सुनीता गुर्जर के जीतने से भी यह जाहिर होता है कि ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा के हालात बेहद खराब हैं। 32 हजार में से 10 हजार मतदाताओं के मत डालने से प्रतीत होता है कि भाजपा के नेताओं ने कोई मेहनत नहीं की।
(एस.पी. मित्तल) (07-08-2016)
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