नागौर पुलिस की करतूत पर गृहमंत्री कटारिया को वाकई शर्मिंदा होना चाहिए दैनिक नवज्योति के संवाददाता के खिलाफ झूठा मुकदमा।

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कुख्यात अपराधी आनंदपाल को फरार करवाकर जो नागौर पुलिस राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार की देशभर में बदनामी करवा रही है, वहीं नागौर पुलिस अब पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करने से बाज नहीं आ रही। नागौर के मेड़ता रोड में पिछले 17 सालों से ईमानदारी के साथ पत्रकारिता करने वाले दैनिक नवज्योति के संवाददाता कंवलजीत सिंह के खिलाफ पुलिस ने एक झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया है। 16 जून को पत्रकार सिंह ने रामनिवास सोनी, राजेन्द्र सोनी, गणेश सोनी आदि के खिलाफ मारपीट करने का मुकदमा दर्ज करवाया था। पिटाई में कंवलजीत सिंह का सिर भी फट गया। पुलिस हमलावरों के खिलाफ कोई कार्यवाही करती इसके बजाए अपनी प्रवृत्ति के अनुरूप हमलावरों से ही कंवल जीत सिंह के खिलाफ एक शिकायत ले ली। इस शिकायत में पुलिस ने लिखवा लिया कि कंवलजीत अवैध शराब का कारोबार करता है। यानि जो कंवलजीत पिछले 17 सालों से कलम घिस रहा हे, उसे अब मेड़ता रोड की पुलिस शराब का अवैध कारोबारी मानती है। ऐसी नागौर पुलिस पर वाकई प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को शर्म आनी चाहिए। विगत दिनों ही गृहमंत्री कटारिया ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि हमारी पुलिस ऐसे-ऐसे कृत्य करती है, जिसकी वजह से मुझे (गृहमंत्री) शर्मिंदा होना पड़ता है।
मेड़ता सिटी के कंवल जीत का मामला भी ऐसा ही है, जिसमें गृहमंत्री को वाकई शर्मिंदा होना चाहिए। पुलिस को भी यह पता है कि कंवलजीत सिंह जिस परिसर में अपना फैंसी स्टोर चलाता है, उसके परिसर में कौन व्यक्ति शराब का अवैध कारोबार करता है, मेड़ता रोड पुलिस की इस कार्यवाही की शिकायत जब पत्रकारों ने नागौर के पुलिस अधीक्षक गौरव श्रीवास्तव से की तो श्रीवास्तव ने जांच थाने के एएसआई सुरेन्द्र मीणा से लेकर एसएचओ राजेश गजराज को सौंप दी। पत्रकारों के अब यह समझ में नहीं आ रहा कि जिस थाने की पुलिस के खिलाफ शिकायत थी, उसी थाने का एसएचओ निष्पक्ष जांच कैसे करेगा? शायद इसलिए गृहमंत्री कटारिया को यह कहना पड़ा कि पुलिस की वजह से में शर्मिंदा हंू। सिपाही से लकर एसपी तक के व्यवहार से पता चलता है कि नागौर पुलिस अपराधियों के साथ और पत्रकारों के खिलाफ है। यही वजह है कि 27 जून को मेड़ता रोड क्षेत्र के पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल रेंज की आइजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल से मिलने के लिए अजमेर आया। इस प्रतिनिधि मंडल में वरिष्ठ पत्रकार पुखराज टांक, तेजराम, सुशील दिवाकर, पुरण उपाध्याय आदि शामिल थे। चूंकि श्रीमती अग्रवाल भीलवाड़ा गई हुई हैं, इसलिए मुलाकात नहीं हो सकी। पत्रकारों को उम्मीद है कि रेंज की आईजी न्याय करेंगी। साथ ही नागौर पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करेंगी जो गृहमंत्री कटारिया को शर्मसार कर रहे हैं।
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(एस.पी. मित्तल) (27-06-2016)
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