राजनीति भी बड़ी….. चीज है!

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किसी ने सही कहा है कि राजनीति भी बड़ी ……. चीज है। राजनीति में जब नेता सत्ता की पटरी पर दौड़ता है तो उसे हर व्यक्ति सलाम करता है, लेकिन जब सत्ता की पटरी से उतर जाता है तो उसकी कोई पूछ नहीं होती। ऐसा ही कुछ नजारा 14 अगस्त को अजमेर के महाराणा प्रताप स्मारक पर प्रतिमा अनावरण और लेजर शो के दौरान देखने को मिला। सब जानते हैं कि भाजपा के पिछले शासन में जब धर्मेश जैन अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष थे, तब इस स्मारक का निर्माण करवाया गया था। यानि पुष्कर घाटी पर महाराणा प्रताप का स्मारक बने और प्रतिमा लगे यह सोच जैन की ही थी, लेकिन विवादों के चलते जैन को अध्यख का पद बीच में ही छोडऩा पड़ा और भजपा के दूसरे कार्यकाल में शिव शंकर हेड़ा अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बने तो धर्मेश जैन को सत्ता की पटरी से उतरा हुआ माना गया।
सीएम वसुंधरा राजे ने 14 अगस्त को जब स्मारक पर प्रतिमा का अनावरण कर लेजर शो देखा तो समारोह में धर्मेश जैन को बैठने के लिए एक कुर्सी तक नहीं मिली। जैन की इतनी बुरी दशा थी कि उन्हें मुख्यमंत्री के सोफे के पीछे सुरक्षा कर्मी की तरह खड़ा होना पड़ा। सत्ता की पटरी पर दौड़ रहे किसी भी नेता और प्राधिकरण के अधिकारियों ने जैन को कुर्सी पर बैठने तक के लिए नहीं कहा। जैन पूरे समारोह में खड़े ही रहे। यहां तक कि सीएम राजे ने भी जैन की उपस्थिति को गंभीरता के साथ नहीं लिया। यह बात अलग है कि जैन हाथ जोड़कर बार-बार सीएम के सामने आते रहे। असल में अपनी इस दुर्दशा के लिए जैन स्वयं जिम्मेदार हैं। विगत दिनों ही जैन ने अपनी ही सरकार के प्राधिकरण के कामकाज पर आरोप लगाए थे। जैन को यह समझना चाहिए कि जब प्राधिकरण के खिलाफ जुबान खोली जा रही है तो उन्हें स्मारक पर बैठने के लिए कुर्सी कौन देगा? अखबारों में छपे प्राधिकरण विरोधी बयान भी सीएम के सामने रख दिए होंगे। जैन को भी समझना चाहिए कि वर्तमान अध्यक्ष हेड़ा सीएम की पसंद हैं।
सीएम के दो दिन के अजमेर प्रवास में भाजपा के वरिष्ठ नेता रासा सिंह रावत ने भी अपनी शक्ल दिखाने के कोई कसर नहीं छोड़ी। रावत पांच बार अजमेर से लोकसभा के सांसद रहे हैं। लेकिन सीएम के दौरे में रावत को कोई पूछने वाला नहीं था। प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी को भी राजनीति के उतार-चढ़ाव से सबक लेना चाहिए। देवनानी जब अजमेर के प्रभारी मंत्री थे, तो उनका जलवा सांतवें आसमान पर देखा गया, लेकिन पिछले दिनों प्रभारी मंत्री के पद से हटने और हाल ही में पैर में फ्रेक्चर होने के बाद देवनानी की सीएम के दौरे में कोई भूमिका देखने को नहीं मिली। यदि राजनीति बड़ी…….. चीज नहीं होती तो देवनानी को वॉकर की मदद से मुख्यमंत्री के समारोह में नहीं जाना पड़ता। देवनानी भी जानते हैं कि राजनीति बड़ी…. चीज है, इसलिए यदि सीएम के समारोह में नहीं गए तो प्रतिद्वंद्वी सत्ता की पटरी से उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। भले ही डॉक्टरों ने देवनानी को टूटी हड्डी वाले पैर पर जोर न डालने की सलाह दी हो, लेकिन सत्ता की पटरी पर दौड़ते रहने के लिए देवनानी वॉकर लेकर सीएम के सामने बार-बार उपस्थित होते रहने पड़ा।
अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट के भी समझ में आ गया होगा कि राजनीति बड़ी….. चीज है। एक माह पहले तक जब जाट केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री थे, तो उनका रुतबा भी सीएम के बराबर था, लेकिन 14 और 15 अगस्त को सांवर लाल जाट एक सांसद के रूप में ही सीएम के साथ रहे। यह तो अच्छा हुआ कि सीएम ने हर बार अपने वाहन में ही जाट को बैठाया नहीं तो जाट को भी समारोह में पहुंचने के लिए धक्के खाने पड़ते। जाट भले ही केन्द्रीय मंत्री नहीं रहे हो, लेकिन दौरे में सीएम ने जाट का पूरा सम्मान किया। सीएम के दौरे में सत्ता की पटरी पर सबसे तेज ट्रेन भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव दौड़ते देखी गई।
(एस.पी. मित्तल) (16-08-2016)
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