कड़ी सुरक्षा में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने दरगाह में जियारत की। जायरीन भी परेशान हुए।

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9 अप्रेल को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत की। शेख हसीना की जियारत सुकून के साथ हो जाए, इसलिए दरगाह में आने वाले आम जायरीन को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। हसीना 9 अप्रेल को प्रात: 11 बजे जियारत के लिए दरगाह में आई, लेकिन सुबह 5 बजे से ही संपूर्ण दरगाह परिसर को खाली करवा लिया गया। दरगाह में जियारत के लिए हमेशा तांता लगा रहता है, लेकिन दोपहर 12 बजे तक आम जायरीन को दरगाह में प्रवेश नहीं दिया गया। जो जायरीन बाहर से आए थे, उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा। दरगाह के सामने वाले बाजार की सभी दुकानों और ऊपर के सभी मकानों की खिड़कियां तक बंद करवा दी गई। दरगाह से कोई 2 किलोमीटर दूर सर्किट हाऊस तक के मार्ग पर यातायात बंद रखा गया। इससे शहर भर के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। शेख हसीना की सुरक्षित जियारत के बाद ही प्रशासन ने राहत की सांस ली।
वली का दरबार :
जियारत के बाद शेख हसीना ने दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन की विजिटर बुक में अपनी भावनाओं को भी व्यक्त किया। बांग्ला भाषा में हसीना ने लिखा कि यह अल्लाह के वली का दरबार है। यहां आने से रूहानी फैहज मिलता है, दिल को सुकून मिलता है। यहां जो भी आता है, अपनी मुराद पाता है। इनके दरबार में आने से अल्लाहताला हम सभी की दुआएं कबूल करता है।
शानदार इस्तकबाल :
दरगाह पहुंचने पर शेख हसीना का शानदार इस्तकबाल किया गया। दरगाह के अंदर रेड कॉरपेट बिछा कर ढ़ोल-नगाड़ों से स्वागत हुआ। हसीना ने भी पूरी अकीदत के साथ अपने सिर पर चादर रखी और मजार शरीफ तक पैदल चल कर गई। यहां सूफी परम्परा के अनुरूप जियारत की रस्म अदा की। हसीना के खादिम कलीमुद्दीन चिश्ती ने उन्हें चुनरी औंढ़ाई और दुआ की। खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन सरकार, सचिव वाहिद हुसैन अंगारा, अंजुमन शेख जादगान के अध्यक्ष जर्रार चिश्ती व सचिव अब्दुल माजिद चिश्ती, दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन, दरगाह कमेटी नाजिम ले.कर्नल मंसूर अली खान आदि ने भी हसीना का इस्तकबाल किया। इससे पहले घूघरा हैलीपेड पर प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने भी स्वागत किया।
नजर नहीं आए नेता :
आम तौर पर किसी देश के राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री के आगमन पर राज्य सरकार का कोई मंत्री भी साथ होता है। लेकिन 9 अप्रेल को शेख हसीना के साथ कोई मंत्री अथवा नेता नहीं था। हैलीपेड पर स्वागत करने वालों में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत भी नजर नहीं आए। विदाई भी अफसरों ने दी।
(एस.पी.मित्तल) (09-04-17)
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