गौ रक्षा के नाम पर हत्याएं करने वाले बताएं कि सबका साथ, सबका विकास के उद्देश्य का क्या होगा? ऐसे तो नहीं सुधरेंगे देश के हालात। ======================

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    गौ रक्षा के नाम पर हत्याएं करने वाले बताएं कि सबका साथ, सबका विकास के उद्देश्य का क्या होगा? ऐसे तो नहीं सुधरेंगे देश के हालात।
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    2 जुलाई को दिल्ली के जन्तर मन्तर पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्रित हुए। यह विरोध प्रदर्शन झारखण्ड में असगर अली, राजस्थान में पीलू खां, यूपी में जुनेद आदि की हत्याओं के विरोध में था। आरोप है कि इन लोगों की हत्या कथित गौ रक्षकों ने की है। हालांकि तीनों ही मामलों में आरोपी गौ रक्षकों की गिरफ्तारियां हो चुकी है। लेकिन जो लोग स्वयं को गौ रक्षक बता कर इस तरह खुले आम पिटाई कर रहे हैं, उन्हें देश के हालातों के बारे में सोचना चाहिए। तीन साल पहले जिन हालातों में एनडीए की सरकार को देश मिला, उसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास का उद्देश्य रखा। इसका मतलब यही था कि कोई किसी भी धर्म का हो, लेकिन उसका विकास समान रूप से किया जाएगा। कोई माने या नहीं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के युवाओं के लिए जो कल्याणकारी योजनाएं घोषित की गई, वे इससे पहले कभी नहीं हुई। स्कूल कॉलेज में पढऩे वाले मुस्लिम युवक-युवतियों ने इन सुविधाओं का लाभ भी उठाया है। इसे दुर्भाग्यूपूर्ण ही कहा जाएगा कि भीड़ में शामिल कथित गौ रक्षक जुनैद, पीलू खां और असगर अली जैसों को मार डालते हैं। यदि किसी गौ रक्षक को शिकायत है तो उसे कानून का सहारा लेना चाहिए। गौ रक्षक माने या नहीं, लेकिन ऐसी हत्याओं से सबका साथ, सबका विकास का उद्देश्य विफल होता है। हत्याएं करने वाले गौ रक्षक अपने देश के हालातों को भी समझें। भले ही कुछ लोगों ने किन्हीं कारणों से पिटाई की हो, लेकिन आज पूरी केन्द्र सरकार कटघरे में खड़ी हुई है। 2 जुलाई को जन्तर मन्तर पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्रित हुए हैं तो 1 जुलाई को नेशनल हेराल्ड अखबार के समारोह में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने देश में असंहिष्णुता होने की बात कह दी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी ऐसी हत्याओं पर चिंता जताई। जबकि इसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भावुक होते हुए ऐसे गौ रक्षक को कड़ी फटकार लगाई। यह माना कि जब गौमाता का मांस इधर से उधर ले जाया जाता है तो गौ रक्षकों के खून में उबाल आ जाता है। गौ माता की रक्षा होनी ही चाहिए। लेकिन इसके लिए गौ रक्षकों को सब्र से काम करना चाहिए। यदि देश में शान्ति बनी रही तो गौ माता की रक्षा अपने आप हो जाएगी। देश के बड़े-बड़े साधु-संत गौ माता की रक्षा के काम में लगे हुए हैं। अनेक जैन मुनियों का उद्देश्य सिर्फ गौ माता की रक्षा और संरक्षण करना है। गौ रक्षकों को हमारे साधु-संतों पर तो भरोसा करना ही चाहिए। जहां तक मुस्लिम समुदाय का सवाल है तो ऐसे अनेक मुसलमान मिल जाएंगे, जो गौ माता की रक्षा और संरक्षण के समर्थक हैं।
    एस.पी.मित्तल) (02-07-17)
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