केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने से अजमेर के नागरिकों को मिला फायदा।

केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने से अजमेर के नागरिकों को मिला फायदा। तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के बेबाक बोल। फर्क है अवैध निर्माण और अतिक्रमण में।

अजमेर नगर निगम में भाजपा के शासन को 20 अगस्त को तीन वर्ष पूरे हो गए। इसी मौके पर मैंने मेयर धर्मेन्द्र गहलोत से सीधा संवाद किया। गहलोत ने अपने मिजाज के मुताबिक बेबाक जवाब दिया। गहलोत ने कहा कि जुलाई 15 में भाजपा ने अजमेर की जनता से कहा था कि यदि निगम में भाजपा का शासन हो जाएगा तो विकास की कड़ी से कड़ी जुड़ जाएगी। मतदाताओं ने हम पर जो भरोसा जताया, उस पर भाजपा पूरी तरह खरी उतरी है। केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने की वजह से ही अजमेर को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया। केन्द्र के मापदंडों में स्मार्ट सिटी के लिए जागरुकता बढ़ाने तथा आधारभूत सुविधाएं जुटाने में निगम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। निगम की कार्यप्रणाली को देखते हुए ही केन्द्र की अनेक योजनाओं की क्रियान्विति के लिए निगम का चयन किया गया। मैं यह दावा नहीं करता कि सभी वायदे पूरे कर दिए हैं, लेकिन अजमेर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आने वाले दिनों में अजमेर शहर का रूप निखरेगा। यह सफलता तभी मिली है, जब केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार है।
आनासागर बनेगा आय का स्त्रोतः
गहलोत ने बताया कि आनासागर के संरक्षण और साफ सफाई पर अब तक करोड़ांे रुपया खर्च हुआ है, लेकिन आने वाले दिनों में यही आनासागर आय का स्त्रोत बनेगा। स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत जो पाथ-वे बनाया जा रहा है, उसी पर चार स्थानों पर फूड कोट बनाए जा रहे हैं। ये फूड कोट टेंडर के जरिए दिए जाएंगे। इसी प्रकार आनासागर में वाटर स्पोर्टस की भी योजना है। अजमेर आने वाले पर्यटकों के लिए यह झील आकर्षण का केन्द्र होगी। आनासागर के प्राकृतिक महत्व को देखते हुए ही नालों का गंदा पानी रोकने का काम किया जा रहा है। अब तक बांडी नदी और गुलमर्ग होटल वाले नालों का पानी आनासागर में गिरने से रोका गया है। शेष नालों के लिए काम जारी है। आनासागर की साफ-सफाई के लिए डिविंडिंग मशीन खरीद ली है जो पानी में उतर कर कचरा बाहर निकालती है। पूर्व में यही मशीन किराए पर मंगवानी पड़ती थी। आनासागर से सटे सुभाष उद्यान की भी काया पलट की जा रही है। केन्द्र सरकार की हेरीटेज योजना में 13 करोड़ रुपए के खर्च से उद्यान को राष्ट्रीय स्तर का बनाया जा रहा है, जहां साइकिल टेªक जैसी सुविधाएं होंगी। आने वाले दिनों में सुभाष उद्यान भी पर्यटन का प्रमुख केन्द्र होगा।
ब्रह्मपुरी का नाला कवर होगाः
शहर के बीच में निकल रहा ब्रह्मपुरी का नाला पूरी तरह कवर किया जाएगा। इस कार्य में जो अड़चन आ रही है, उन्हें जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। इसी क्रम में पुष्कर रोड को चौड़ा कर यातायात को सुगम बनाया गया है। इस रोड पर पहले जहां जाम लगते थे, वहां अब यातायात तेज गति से चलता है। इसी प्रकार कचहरी रोड पर तोपदड़ा वाले मोड़ को भी सुगम बनाया है।
साफ-सफाईः
निगम ने अपने मूल कार्य साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया है। अधिकांश क्षेत्रों में घरों से कचरा एकत्रित किया जा रहा है। इससे गली मोहल्लों में अब कचरा बिखरा नहीं होता। शहर के प्रमुख मार्गों के डिवाइडरों के किनारे मिट्टी और कचरे को हटाने के लिए सफाई कर्मियों की अलग से नियुक्ति की गई है। बाहर से आने वाले लोगों को भी अब अजमेर शहर साफ सुथरा नजर आने लगा है।
जन सहयोग से भी कार्यः
स्मार्ट सिटी योजना की मंशा के अनुरूप जन सहयोग से भी विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। मालू समूह के द्वारा सर्किट हाउस की पहाड़ी, सतगुरु गुुरुद्वारा मेडिकल कॉलेज के सामने नेहरू उद्यान, बजरंगगढ़ चौराहे के निकट विजय स्मारक पर शहीद भगत सिंह नौजवान सभा द्वारा उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। ये सभी कार्य मिशन अनुपम के तहत हुए हैं।
ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ 5 सितम्बर कोः
गांधी भवन स्थित परिसर में ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ आगामी 5 सितम्बर से होगा। गहलोत ने बताया कि इस ई-लाइब्रेरी में सभी प्रकार की सुविधाएं मिलेगी। स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी इसका लाभ उठा सकेंगे। प्रतियोगी परीक्षा देने वाले युवाओं को भी सुविधा मिलेगी।
फर्क है अवैध निर्माण और अतिक्रमण मेंः
मेयर गहलोत ने कहा कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण में फर्क है। अवैध निर्माण का मतलब किसी सरकारी जमीन पर कब्जा कर निर्माण करना है, जबकि अतिक्रमण का मतलब स्वयं की भूमि पर नियमों के विरुद्ध निर्माण। गहलोत ने दावा किया नगर निगम की किसी भी भूमि पर अवैध निर्माण नहीं हुआ है। उन्होंने माना कि स्वयं की भूमि पर नियमों के विरुद्ध निर्माण हो सकते हैं। सब जानते हैं कि अजमेर मंे पिछले तीन वर्षों से मास्टर प्लान की स्वीकृत नहीं है। आम तौर पर शिकायत मिलती है कि आवासीय नक्शे की आड़ में कॉमर्शियल निर्माण कर लिया गया है। निगम ने कई बार आवश्यक कार्यवाही भी की है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि ऐसे मामलों में नगर निगम सीज की जो कार्यवाही करता है उसे डीएलबी के अधिकारी कुछ दिनों में ही सीज मुक्त कर देते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक आवासीय परिसर में व्यावसायिक गतिविधियां शुरू न हो तब तक सीज की कार्यवाही करना मुश्किल होता है। निगम को कानून की प्रक्रिया के तहत ही कार्यवाही करनी होती है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने भी हाईकोर्ट में अपने जवाब में कहा है कि जिन निर्माणकर्ताओं ने सेट बेक आदि का उल्लंघन किया है उनके विरुद्ध बड़े पैमाने पर कार्यवाही करना मुश्किल है। गहलोत ने कहा कि नियमों के तहत नियमन की कार्यवाही की जा सकती है। जो लोग आरोप लगाते हैं उन्हें कानूनी प्रक्रिया और मौके पर मौजूद परिस्थितियों को समझना होगा।
मसाणिया भैरव धाम का आशीर्वादः
धर्मेन्द्र गहलोत उन भाग्यशाली राजनेताओं में से हैं जो दूसरी बार अजमेर के मेयर बने हैं। इसे भी उनकी किस्मत ही कहा जाएगा कि सामान्य वर्ग का पद होने के बाद भी ओबीसी वर्ग से गहलोत मेयर बने। इतना ही नहीं तीन वर्ष पहले मेयर के चुनाव में लॉटरी की पर्ची से चयन हुआ। तब गहलोत और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह शेखावत को तीस-तीस मत प्राप्त हुए थे। गहलोत का मानना है कि उन पर राजगढ़ स्थित मसाणिया भैरवधाम के उपासक चम्पालाल महाराज की कृपा है। महाराज के आशीर्वाद से ही उन्हें सफलता मिलती है।
चुनाव लड़ने की चर्चाः
राजनीति में गहलोत की छवि बोल्ड राजनेता के तौर पर मानी जाती है। यही वजह है कि साठ में से कांग्रेस के 22 पार्षद होने के बाद भी नगर निगम में गहलोत का कभी विरोध नहीं होता। साधारण सभा भी गहलोत के इशारे पर ही होती है। गहलोत के समर्थक चाहते हैं कि इस बार अजमेर उत्तर क्षेत्र से गहलोत विधायक का चुनाव लड़े। समर्थकों का मानना है कि यदि गहलोत उम्मीदवार होते हैं तो भाजपा की जीत निश्चित है। देखना है कि समर्थकांे की मंशा पूरी होती है या नहीं क्योंकि इस क्षेत्र से भाजपा के विधायक और प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी से गहलोत के मधुर संबंध हैं। राजनीति में दोनों एक दूसरे के लिए उपयोगी हैं।

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