पायलट के गृह जिले अजमेर में बनी हुई है शांति।

पायलट के गृह जिले अजमेर में बनी हुई है शांति।
कांग्रेस के दावेदार पायलट के ही भरोसे।
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राजस्थान में अजमेर को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का गृह जिला माना जाता है। पायलट ने पहली बार अजमेर से 2009 में लोकसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2014 में हारने के बाद जब प्रदेश अध्यक्ष बने तो जिलेभर में संगठन की जाजम अपने हिसाब से बिछाई। यही वजह है कि अब विधानसभा चुनाव में पायलट के विशेष कृपा पात्र कांग्रेसी विधायक बनने का ख्याब देख रहे हैं। प्रदेश कार्य समिति का सदस्य बना कर पायलट ने अपने समर्थकों को पहले ही लाइन में लगा दिया है। राजस्थान में अजमेर  एक मात्र जिला होगा जहां की अनेक कांग्रेसियों का पायलट से सीधा संवाद है। हर विधानसभा क्षेत्र में पायलट के पक्के समर्थक की अलग ही पहचान है। हालांकि पायलट ने पुराने कांग्रेसियों से भी तालमेल बना कर रखा है, लेकिन अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अजमेर जिले में चुनाव के मद्देनजर विधानसभा वार पायलट समर्थकों की स्थिति इस प्रकार है-
किशनगढ़ (विधानसभा 98) 
मार्बल नगरी किशनगढ़ में राजू गुप्ता की पायलट समर्थक के तौर पर पहचान हैं। गुप्ता पायलट तक ही सीमित है। पूर्व विधायक और अभी सशक्त दावेदार नाथुराम सिनोदिया ने तो दो टूक शब्दों में कहा है कि वे कांग्रेस के समर्थक हैं। लेकिन नेताओं में उनकी पहली पसंद अशोक गहलोत ही हैं। यहां से पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप च ौधरी नरेन्द्र भादू आदि भी दावेदारी जता रहे हैं।
पुष्कर (विधानसभा 99) 
जिला परिषद के पूर्व सदस्य श्रवण सिंह रावत अकेले ऐसे कांग्रेसी हैं जो स्वयं को पायलट समर्थक कह सकते हैं, क्योंकि पायलट के आव्हान पर ही श्रवण सिंह रावत ने भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। यही वजह है कि अब अकेले पायलट के दम पर श्रवण सिंह पुष्कर से दावेदारी जता रहे हैं। हालांकि श्रवण सिंह के समधी और सेवादल के प्रदेश संगठक कुंदन सिंह रावत भी पायलट के भरोसे हैं। लेकिन उम्मीदवारी को लेकर दोनों एकजुट हैं। रावत बंधुओं के अलावा पुष्कर के पूर्व विधायक डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती और श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ भी प्रबल दावेदार हैं, इसलिए अब ये दोनों पायलट समर्थक दिखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। श्रीमती अख्तर गहलोत मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्यमंत्री रही हैं तथा डाॅ. बाहेती की पहचान तो गहलोत समर्थक के तौर पर ही होती है। हालांकि जनवरी के लोकसभा उपचुनाव में डाॅ. बाहेती ने पायलट का भरोसा जीता है। इनके अलावा दामोदर शर्मा, पूर्व सरपंच हाजी जब्बार अली चीता, रणजीत सिंह नोसल, मोहन सिंह रावत आदि भी अलग-अलग नेताओं के जरिए दावेदारी जता रहे हैं।
अजमेर उत्तर (विधानसभा 100) 
अजमेर उत्तर में दीपक हासानी और महेन्द्र सिंह रलावता की पहचान पायलट समर्थक के तौर पर हैं, हालांकि रलावता को कांग्रेस के दूसरे नेताओं का भी समर्थन हैं, लेकिन हासानी तो सिर्फ पायलट के दरवाजे के बाहर ही बैठे हैं। हासानी को पता है कि सिंधी समुदाय को टिकिट दिया जाता है तो वे ही एक मात्र पसंद होंगे। हालांकि ऐसा ही भरोसा वरिष्ठ पत्रका और सिंधी समुदाय में पैठ रखने वाले गिरधर तेजवानी का भी है। वहीं शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने दावेदारी नहीं जताई है, लेकिन उनका भरोसा है कि यदि गैर सिंधी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो पायलट सबसे पहले उन्हें ही उम्मीदवार बनाएंगे। पूर्व में भी ब्लाॅक अध्यक्ष से सीधे शहर जिला कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। वैसे समर्थकों ने जैन के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। वैश्य समाज के दम पर शैलेन्द्र अग्रवाल और सिंधी होने के नाते दिलीप सामतानी भी दावेदारी जता रहे हैं।
अजमेर दक्षिण (विधानसभा 101) 
अजमेर दक्षिणी में बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी की पहचान पायलट समर्थक के तौर पर है, लेकिन गत लोकसभा के उपचुनाव में हेमंत के बड़े भाई पूर्व मंत्री ललित भाटी ने भी पायलट का भरोसा जीता है। चूंकि बीड़ी कारोबार और जायदाद की चाबी हेमंतभाटी के पास है, इसलिए वे कांग्रेस संगठन के काम के नेता हैं। हालांकि पूर्व मेयर कमल बाकोलिया भी स्वयं के पायलट समर्थक होने का दावा करते हैं, लेकिन हेमंत भाटी वाली बात नहीं है। चुनाव के मौके पर सक्रिय होने वाले डाॅ. राजकुमार जयपाल अजमेर क्लब से निकल कर फिर अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं। डाॅ. राकेश सिवासिया, नरेश सत्यावना आदि भी दावेदार हैं।
नसीराबाद (विधानसभा 109) 
अजमेर जिले में नसीराबाद ऐसा क्षेत्र हैं, जहां कांग्रेस के रामनारायण गुर्जर विधायक हैं। पायलट स्वयं भी गुर्जर समुदाय के हैं, ऐसे में उपचुनाव में जीत दर्ज करवाने वाले रामनारायण गुर्जर को ही उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद है, वैसे महेन्द्र सिंह गुर्जर, गुरुदयाल गुर्जर, नौरत गुर्जर और सौरभ बजाड़ भी दावेदारी जता रहे हैं। सौरभ बजाड़ गुर्जर समुदाय में खासा प्रभाव बताया जाता है।
ब्यावर (विधानसभा 103) 
ब्यावर में पारस पंच की पहचान पायलट समर्थक के तौर पर हैं। यूं मनोज च ौहान और राजेन्द्र ओसवाल भी दावेदारी जता रहे हैं।
मसूदा (विधानसभा 104) 
देहात कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ पायलट समर्थक होने के नाते मसूदा में लम्बे समय से सक्रिय है। राठौड़ का मानना है कि यदि गैर मुस्लिम को उम्मीदवार बनाया जाता है तो पायलट उन्हें ही टिकिट देंगे। राठौड़ अब तक पायलट के  भरोसे पर खरे उतरे हैं। राहुल गांधी के दरबार में सबसे ताकतवर नेता माने जाने वाले अहमद पटेल के दम पर हाजी कय्यूम खान, मसूदा से उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। यूं वाजिद चीता भी स्वयं को पायलट का समर्थक होने का दावा करते हैं। यहां से ब्रह्मदेव कुमावत भी दावेदारी जता रहे हैं।
केकड़ी (विधानसभा 105) 
रघु शर्मा के सांसद बनने के बाद केकड़ी पर रघु की राय ही सर्वोपरि हो गई है। लोकसभा का उपचुनाव जीतने के बाद भी रघु का कहना था कि वे केकड़ी से ही विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अब पिछले कई दिनों से पायलट समर्थक और कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक राकेश पारीक केकड़ी क्षेत्र में सक्रिय है। बदली हुई परिस्थितियों में रघु का भी कहना है कि जो हाईकमान कहेगा, वैसा ही करुंगा।
एस.पी.मित्तल) (23-10-18)
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