संथाना लेने के बाद मात्र ढाई घंटे में हो गया निर्वाण। अजमेर के 50 वर्षीय कमल चौधरी की उत्साह के साथ निकाली बैकुंठी।
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1 नवंबर को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित अरिहंत कॉलोनी में रहने वाले 50 वर्षीय कमल चौधरी की बैकुंठी उत्साह के साथ निकाल कर अंतिम संस्कार किया गया। जैन समाज में संथारा का धार्मिक और सामाजिक महत्व है। चौधरी पिछले 10 वर्षों से ट्यूमर से पीडि़त थे। सभी अस्पतालों में इलाज करवाने के बाद भी चौधरी जब स्वस्थ नहीं हुए तो उन्होंने साध्वी निशा से संथारा दिलवाने का आग्रह किया। 31 अक्टूबर को जब चौधरी ने संथारा ग्रहण किया तो मात्र ढाई घंटे बाद ही निर्वाण हो गया। साध्वी निशा का कहना है कि ऐसा बहुत कम होता है कि जब संथारा लेने के बाद 2-4 घंटे में ही निर्वाण हो जाए। कमल चौधरी धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे, इसलिए उनका मोक्ष जल्द हुआ। चूंकि चौधरी का निधन संथारा से हुआ, इसलिए परिजनों ने मृत्यु का उत्सव मनाया। परिजनों ने पालकी में बैठा कर चौधरी की बैकुंठी निकाली। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग उपस्थित रहे।
(एस.पी.मित्तल) (01-11-16)
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