9 माह में भी नहीं निकाल पाए सचिन पायलट अपने गृह जिले की कार्यकारिणी। क्या घर में ही बगावत की आशंका है?
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राहुल गांधी द्वारा नियुक्त राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी गुरुदास कामत प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बराबर का नेता बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि पायलट अपने गृह जिले अजमेर में शहर और देहात जिले की कार्यकारिणी तक घोषित नहीं करवा पा रहे। पायलट ने गत 11 फरवरी को अजमेर देहात का अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ और शहर का विजय जैन को घोषित किया था। अब 9 माह बाद भी दोनों जिला संगठनों की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल उठता है क्या पायलट को अपने गृह जिले में काग्रेंस में बगावत की आशंका है? मालूम हो पायलट ने दो बार लगातार अजमेर से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा। एक बार जीत और दूसरी बार हार का स्वाद चखा। जब कामत पायलट को गहलोत के बराबर का नेता बना रहे हैं तो फिर पायलट के गृह जिले में तो कांग्रेस संगठन मजबूत स्थिति में खड़ा होना चाहिए। यह माना कि कार्यकारिणी की घोषणा का मामला कांग्रेस का आंतरिक मामला है, लेकिन जब कोई जिला प्रदेश अध्यक्ष का गृह जिला हो तो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है। पायलट माने या नहीं, लेकिन अजमेर में जिला कार्यकारिणी 9 माह से लंबित होने की वजह से प्रदेश भर में नकारात्मक संदेश जा रहा है। जहां तक भूपेन्द्र सिंह राठौड़ और विजय जैन का सवाल है तो यह दोनों नाम मात्र के अध्यक्ष हैं। चूंकि नई कार्यकारिणी की घोषणा नहीं हुई है इसलिए मजबूरी में पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चलाना पड़ रहा है। पुरानी कार्यकारिणी के कांग्रेसियों को भी पता है कि नई में उनका नंबर नहीं आएगा। इसलिए कोई सहयोग भी नहीं कर रहे हैं। दोनों अध्यक्षों ने अपनी कार्यकारिणी कई माह पहले ही पायलट को दे दी है। साथ ही कई बार विनम्र आग्रह भी कर दिया है, लेकिन इन दोनों कि पायलट के दरबार में कोई सुनवाई नहीं हो रही। चूंकि यह दोनों पायलट की ही मेहरबानी से अध्यक्ष बने हैं इसलिए कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं है। पुरानी कार्यकारिणी में पूर्व विधायकों का दबदबा है, ऐसे में जब कांग्रेस की कोई बैठक होती है तो दोनों अध्यक्षों को कोई सम्मान प्राप्त नहीं होता। चूंकि गत लोकसभा चुनाव में अजमेर के कांग्रेस के नेताओं के हाल पायलट देख चुके हैं इसलिए नई कार्यकारिणी घोषित कर पायलट कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। अब देखना है कि पायलट अपने गृह जिले की कार्यकारिणी की घोषणा को कब तक टालते रहेंगे। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पायलट ने 39 जिला कमेटी में से 20 के अध्यक्ष बदले थे। सोलह अध्यक्षों ने कार्यकारिणी की घोषणा कर दी, लेकिन अजमेर देहात व शहर, जयपुर शहर तथा पाली की जिला कमेटी की घोषणा अभी तक भी नहीं हो पाई है।
(एस.पी.मित्तल) (06-11-16)
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