भारत के कश्मीर को बपौती समझने वाले अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदानों को आखिर हिन्दू मतदाताओं से क्यों डर लगता है? भारत जब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जब हिंदुओं के वोट पर एतराज क्यों? खानदानों के वारिसों को अब यह समझना चाहिए कि जम्मू कश्मीर अब भारत का महत्वपूर्ण राज्य है।

जम्मू कश्मीर को अपनी बपौती समझने वाले अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदानों के वारिस उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जम्मू कश्मीर में उन मतदाताओं का विरोध कर रहे हैं जो दूसरे प्रांतों से आकर जम्मू कश्मीर में बसे हैं। ऐसे मतदाता जम्मू कश्मीर में पर्यटन से लेकर सरकारी क्षेत्र में नौकरियां कर रहे हैं। चूंकि जम्मू कश्मीर में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं इसलिए निर्वाचन विभाग ने नई मतदाता सूची तैयार की है। सवाल यह नहीं है कि महबूबा और उमर को दूसरे प्रांतों के मतदाताओं पर एतराज है, अहम सवाल यह है कि महबूबा और उमर को हिन्दू मतदाताओं से डर क्यों लगता है? जबकि भारत तो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। संविधान में लिखे धर्मनिरपेक्ष शब्द की आड़ लेकर ही भारत पर बहुत से अधिकार जमाए जा रहे हैं। संविधान में तो यह भी लिखा है कि भारत का नागरिक देश के किसी भी राज्य में अपने मताधिकार का उपयोग कर सकता है। यदि राजस्थान में जन्मा कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में कारोबार या नौकरी कर रहा है तो वह उसी प्रांत में अपना वोट देगा। ऐसे में जम्मू कश्मीर में काम करने वाले भारतीय वहीं पर वोट देंगे। सब जानते हैं कि आजादी के बाद एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 का प्रावधान लागू किया। 370 की वजह से ही जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा मिला और तभी चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर कश्मीर से भगा दिया। तब यही अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदानों के लोग बहुत खुश थे। खानदानों के वारिस एक अलग देश का वजीरे आजम बनने का ख्वाब देखने लगे थे। लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर फिर से भारत का अभिन्न अंग बन गया है। अब जम्मू कश्मीर की भी वही स्थिति है जो भारत के किसी अन्य प्रदेश की। खानदानों के वारिसों को चुनाव जीतने के लिए अब हिन्दू मतदाताओं का भी दिल जीतना होगा। यदि खानदानों के वारिस देशभक्ति दिखाएंगे तो हिन्दू मतदाता भी वोट दे सकता है। जो लोग तिरंगे का जनाजा निकलने की बात करते हैं, उन्हें देशभक्त मतदाता कभी भी वोट नहीं देगा। यह सही है कि अभी हिन्दुओं को टारगेट कर हत्याएं हो रही है, लेकिन एक समय था, तब सुरक्षा बलों पर ही खुलेआम पत्थरबाजी होती थी। अब हिन्दुओं की हत्या करने वाले आतंकियों को चुन चुन कर मारा जा रहा है। आज जम्मू कश्मीर में पर्यटन को रिकॉर्ड बढ़ावा मिला है। उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को छोड़कर आम कश्मीरी भी खुश है। कश्मीर के मुसलमान भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के हालात देख रहे हैं। वहां लोगों के पास दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं हो रहा है और यहां जरुरतमंद हर कश्मीरी को प्रतिमाह पांच किलो अनाज मुफ्त में मिल रहा है। सरकार की हर कल्याणकारी योजना का लाभ भी कश्मीरी उठा रहे हैं। भारत के कश्मीर में रहने के कारण ही कोरोना की बूस्टर डोज तक लग रही है। खानदानों के वारिसों को अब यह समझ लेना चाहिए कि जम्मू कश्मीर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। अब धर्मनिरपेक्षता की आड़ में दोगली नीति भी नहीं चलेगी। हिन्दुओं को कश्मीर में नहीं रहने देने का खेल अब खत्म हो चुका है। जम्मू कश्मीर में अब ऐसी प्रांतीय सरकार बनेगी जो मुसलमान का भी विकास करेगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-08-2022)
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