तो क्या बदल रहा है जमीयत का चेहरा? जमीयत के मंच पर सभी धर्मों के नेता आए।

#1960
img_6597
======================
मुस्लिम समुदाय के बीच जमीयत उलेमा ए हिंद को कट्टरपंथी विचारधारा का माना जाता है। मुसलमानों का एक बड़ा तबका जमीयत की विचारधारा का समर्थक नहीं है। अब तक जमीयत का जो चेहरा सामने आया, उसे उदारवादी नहीं माना गया, लेकिन जमीयत ने अजमेर में 11 से 13 नवंबर के बीच जो राष्ट्रीय अधिवेशन किया, उसमें अपना उदारवादी चेहरा दिखाने की भरपूर कोशिश की। इसकी शुरुआत सूफी संत ख्वाजा साहब के सूफीवाद से की। 13 नवंबर को समापन समारोह में जमीयत ने ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों को तो बुलाया ही, साथ ही हिन्दू समाज के प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया। इसमें स्वामी चिदानंद सरस्वती, लोकेश मुनि, पंडित एन.के. शर्मा, अशोक भारती आदि शामिल रहे। जमीयत के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना मेहमूद मदनी और अन्य पदाधिकारियों ने जब मंच पर हिन्दू समाज के धर्मगुरुओं के साथ हाथ उठाया तो लगा कि जमीयत का चेहरा बदल रहा है। स्वामी चिदानंद की जमीयत के मंच पर उपस्थित अपने आप में महत्वपूर्ण है। जमीयत ने अधिवेशन के अंतिम दिन जो प्रस्ताव पास किए, उसमें दलित, आदिवासी और मुसलमानों के गठजोड़ बनाने की बात कहीं गई। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया कि मुसलमानों के बीच विचारों को लेकर जो मतभेद है, उन्हें भुलाकर भारत के मुसलमानों को एक हो जाना चाहिए। अब देखना है कि आने वाले दिनों में देश के मुसलमानों के बीच जमीयत की क्या भूमिका रहती है।

(एस.पी.मित्तल) (14-11-16)
नोट: फोटोज यहां देखें। वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
================================
M: 07976-58-5247, 09462-20-0121 (सिर्फ वाट्सअप के लिए)

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...