वसुंधरा जी यह अकेले मंत्री पुत्र की राय नहीं बल्कि राजस्थान के सम्पूर्ण राजपूत समाज की सोच हो सकती है। गजेन्द्र सिंह खींवसर तो तब तक ही साथ हैं जब तक मंत्री हैं।

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राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के पुत्र धनंजय सिंह खींवसर ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट डाली है उसने राजस्थान की भाजपा की राजनीति में हंगामा कर दिया है। गजेन्द्र सिंह उन मंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने दिल्ली में जाकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पक्ष में पैरवी की। लेकिन वहीं उनके पुत्र धनंजय खींवसर की सोच हैं कि केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री और जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को ही भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहिए। मंत्री खींवसर का कहना है कि यह पोस्ट उनके पुत्र की नहीं है लेकिन वहीं उनके पुत्र ने साफ कहा है कि पोस्ट उन्हीं ने डाली है। सवाल यह नहीं है कि धनंजय सिंह अपने पिता के खिलाफ विचार रखते हैं। सवाल ये है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शेखावत का जिस तरह विरोध किया उससे राजस्थान का आम राजपूत खफा है। चाहे आनंदपाल का मामला हो या फिर फिल्म पद्मावती का। सीएम ने राजपूत समाज की भावाओं को समझने की कोशिश ही नहीं की। हालांकि लोकसभा के दोनों उपचुनावों में राजपूत समाज ने भाजपा और वसुंधरा राजे का खुला विरोध किया। इसकी वजह से भाजपा को सभी विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद भी वसुंधरा राजे खुले तौर पर शेखावत का विरोध कर रही हैं। सीएम का यह कृत्य जले पर नमक छिड़कने जैसा रहा। अब तो मंत्री पुत्र ने भी अपनी राय जगजाहिर कर दी है। सीएम राजे माने या नहीं लेकिन आम राजपूत धनंजय सिंह जैसी सोच ही रख सकता है। जहां तक गजेन्द्र सिंह खींवसर का सवाल है तो वे वसुंधरा राजे के साथ तब तक ही हैं, जब तक मंत्री पद पर हैं। यदि आज उन्हें मंत्री पद से जटा दिया जाए तो खींवसर भी शेखावत के साथ नजर आएंगे। इस तथ्य को भाजपा हाईकमान को भी समझना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में जितना विलम्ब हो रहा है उतना राजस्थान में भाजपा को नुकसान हो रहा है।

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