राजस्थान में आसान नहीं होंगे भाजपा विधायकों के टिकिट काटना।

राजस्थान में आसान नहीं होंगे भाजपा विधायकों के टिकिट काटना। मंडल स्तर के संगठन पर इन्हीं विधायकों का कब्जा।
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पिछले 6 माह को छोड़ दिया जाए तो राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार और संगठन में कभी कोई टकराव नहीं हुआ। चूंकि अशोक परनामी सीएम राजे की सिफारिश से ही प्रदेश अध्यक्ष बने थे, इसलिए सीएम ने जो कहा वहीं संगठन में हुआ। इसी तालमेल के साथ भाजपा के चुनाव भी हो गए। जो तालमेल सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के बीच रहा, वैसा ही तालमेल भाजपा विधायकों एवं मंडल स्तर के संगठन के बीच रहा। राजस्थान में 200 में से 163 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक हैं। यानि प्रदेश के अधिकांश हिस्से में भाजपा संगठन की स्थिति एक जैसी है। जिन क्षेत्रों में भाजपा के विधायक नहीं है, वहां सीएम राजे के नजरिए से संगठन बना हुआ है। अशोक परनामी को साफ-साफ कहा गया कि जो नाम विधायक दे उन्हीं को मंडल अध्यक्ष बनाया जावे। मंडल की कार्यकारिणी भी विधायक ने ही तय की। यानि प्रदेश, जिला और मंडल स्तर पर सत्ता और संगठन का भेद खत्म हो गया। प्रदेश स्तर पर वे ही पदाधिकारी बने जो सीएम के समर्थक थे और जिला एवं मंडल स्तर के पदाधिकारी विधायकों की सिफारिश पर बने। विधायकों और मंडल स्तर के पदाधिकारियों में कितना मिलाप है इसका आभास रणकपुर और जयपुर में हुई रायशुमारी  से हो चुका है। यदि इस रायशुमारी को आधार बना कर टिकिट दिए जाते हैं तो एक भी भाजपा विधायक का टिकिट नहीं कटेगा। सभी विधानसभा क्षेत्रों में विधायक ही पहले नम्बर पर रहे हैं। अब ऐसी चर्चा है कि 163 में से करीब 100 विधायकों के टिकिट कटेंगे। असल में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह को भी पता हो गया है कि विधायकों के व्यवहार से क्षेत्र के मतदाता ही नहीं बल्कि सामान्य कार्यकर्ता भी नाराज है। लेकिन भाजपा विधायकों के टिकिट काटना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि टिकिट नहीं लिने पर संबंध्ंिात विधायक तो नाराज होगा ही साथ ही उसके द्वारा नियुक्त पदाधिकारी भी निष्क्रिय हो सकते हैं। जो संगठन भाजपा विधायकों की गोद में बैठा है उसे गोद से उठाने का अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। देखना होगा कि  इस चुनौती से राजस्थान में भाजपा के बड़े नेता कैसे निपटते हैं। दोबारा से टिकिट नहीं मिलने पर विधायक और उनके समर्थक भाजपा उम्मीदवार को जिताने की कितनी मदद करेंगे यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।
एस.पी.मित्तल) (27-10-18)
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